बेटियों ने माँ को दी मुखाग्नि, हर किसी की आंख से छलक पड़े आंसू

Nbcindia/बालोद/गुरूर- आज के युग में बेटिया किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं हैं। हर क्षेत्र में बेटियां बेटों से आगे निकलकर पुराने जमाने के भ्रम को तोड़ने में लगी हैं। पुराने समय में जिस व्यक्ति का पुत्र नहीं होता था तो उसके अंतिम संस्कार के समय चिता को अग्नि देने का बड़ा सवाल खड़ा हो जाता था, लेकिन अब यह सवाल भी खत्म हो गया है। बेटा ना होने पर बेटिया ही अब यह फर्ज भी निभा रही हैं। ऐसे ही एक सवाल गुरुर ब्लाक के रमतरा में एक बेटी की मां की मौत के बाद खड़ा हुआ, लेकिन बेटी ने आगे आते हुए अपने माता की चिता को मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया। बेटी के द्वारा किए गए इस मुख्य कार्य को लेकर ग्राम रमतरा सहित जिले भर में बेटी की प्रसंशा की जा रही है।

 

गांव के नागरिक वा छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना संयोजक गरूर ब्लाक, श्री झम्मन लाल हिरवानी ने कहा कि बेटियाँ कभी पराई नही होती गांव की इस दोनो बेटियों ने अपने मां की चिता को मुखाग्नि दिया। आंखों से बहती आंसूओं की धारा और चेहरे पर एक अजीब सा सन्नाटा छा गया।

बता दे कि पुत्री कु0 नीलिमा ठाकुर कु0 वन्दना ठाकुर दोनो सगी बहन है जिनका भाई नही है । जिन्होने जैसे ही अपनी मां की चिता में आग लगाई वहां मौजूद सबकी आंखें डबडबा गई। ग्राम रमतरा निवासी श्रीमती जामुन बाई ठाकुर कुछ समय से बीमार थे। उनकी मौत होने पर उनकी संतान के रूप में दो मासूम बच्चियां रह गईं, जिससे समाज के सामने मातृ की चिता को अग्नि देने का सवाल खड़ा हो गया। इसके बाद समाज के कुछ जागरूक लोगों ने पुत्री के द्वारा ही चिता को अग्नि देने की बात पर मुहर लगने के बाद बेटियाँ कु. नीलिमा, कु. वंदना ने शनिवार को अपने माता का पिंडदान कर चिता को अग्नि दे समाज की सोच को बदल दिया। मृत आत्मा को शांति प्रदान करने वा अंतिम संस्कार के लिए गांव के मधु ठाकुर,चेतन ठाकुर,मोहित राम ठाकुर, छगन लाल ‘सुदर्शन सार्वा, मन्नू लाल, सहित परिवार के अन्य लोग उपस्थित रहें। इस शोक की घड़ी मे श्रद्धांजलि संतप्त प्रकट करते हुये झम्मन लाल हिरवानी ने कहा कि समाज में अब बेटा व बेटी एक समान हैं। इसलिए बेटियों को किसी भी संस्कार से दूर नहीं रखना चाहिए और आज मासूम बेटी ने अपने स्वर्गवासी माता श्रीमती जामुन बाई को मुखाग्नि देकर एक समाज सराहनीय कार्य किया है।

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