राहुल ठाकुर गरियाबंद @ देशी उपचार और झोला छाप डॉक्टर के चक्कर में फंसे एक ही परिवार के 3 मासूम बच्चों के मौत का मामला सामने आया है, मामला अमलीपदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीन आने वाले ग्राम धनौरा का है, यहां रहने वाले डमरूधर नागेश मक्का तुड़ाई के लिए उदंती अभ्यारण्य क्षेत्र में मौजूद अपने ससुराल साहेबीनकछार गया हुआ था।
सप्ताह भर रहा और बच्चों के तबियत बिगड़ने पर लौट आया, साथ में गए तीनों बच्चे को बुखार आया, उसी इलाके में पहले झोलाछाप से इलाज कराया, गांव लौटा तो झाड़ फूंक कराता रहा, गांव की मितानीन को भनक लगी तो उसने अस्पताल चलने कहा, पर नागेश परिवार अंतिम सांस चलने तक उपचार के दूसरे तरीकों का सहारा लेता रहा, पहली मौत 11 नवंबर को 8 साल की बेटी अनिता का हुआ, मां के आंखों से आंसू थमें ही नहीं थे, कि 13 नवम्बर को दूसरी मौत 7 साल के बेटा बालक का और इसी दिन कुछ घंटे बाद 4 साल के बेटे गोरेश्वर की भी सांसे थम गई, एक ही परिवार के तीनों चिराग बुझने की इस घटना ने जहां झकझोर कर रख दिया है।
वहीं इस जानलेवा बिमारी से ग्रामीणों में दहशत भी बना हुआ है, मौतों की जानकारी लगने के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी यू एस नवरत्न ने 3 सदस्यी जांच दल गठित कर दिया है, टीम गांव पहुंच कर अब कारण जानने में जुटी हुई है, इस इलाके में आधी अधूरी स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते आधुनिक चिकित्सा पर भरोसा उठ गया है, पहले भी इस गांव में सर्प दंश के चलते एक ही परिवार के 2 सदस्यों की मौत झड़फूक से हुई थी, वनांचल में झोलाछाप डॉक्टर भी सक्रिय है, जो स्वास्थ्य विभाग के कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
वहीं जिले के सीएमएचओ ने विभागीय जांच की बात कही है, साथ ही रायपुर से एक टीम भी इस गांव में पहुंचकर जांच करेगी जहां एक ही परिवार के तीन बच्चों की अचानक मौत हुई है, मौत के कारणों का पता लगाया जाएगा साथ ही जनजागरूकता कार्यक्रम उस क्षेत्र में चलाया जाएगा, उसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी बात कर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्वास्थ विभाग लोगों को मेडिकल साइंस के प्रति विश्वास जगाने कार्यक्रम आयोजित करेगी।

