Nbcindia24/योगेश थवाईत जशपुर/ छत्तीसगढ़ प्रदेश में इन दिनों सुपोषण माह मनाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर जशपुर के बगीचा में महिला एवं बाल विकास विभाग की लापरवाही से राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा बच्ची की कुपोषण से मौत हो गई। इस परिवार के तीन बच्चे अभी भी कुपोषण के शिकार हैं जिनका नाम समाज कल्याण विभाग की सूची में भी दर्ज बताया जा रहा है। शासन प्रशासन का ध्यान इनकी तरफ नहीं होने के कारण कुपोषण की वजह से ये बच्चे अब दिव्यांग हो गए हैं जिनमें से एक 15 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई है।
पूरे प्रदेश में बच्चो के सुपोषण के लिए अभियान चलाकर कुपोषण के घटते दर के लाख दावे शासन कर ले लेकिन सच्चाई ये है की बच्चो के लिए चलाया जा रहा सुपोषण अभियान महज कागजो में चल रहा है।महिला एवं बाल विकास विभाग के खोखले दावों की पोल तब खुली जब बगीचा के नगरीय क्षेत्र में प्रशासन के नाक के नीचे सुपोषण माह के दौरान एक पहाड़ी कोरवा बच्ची की कुपोषण से मौत हो गई।
नगर पंचायत बगीचा के वार्ड क्रमांक 10 में रहने वाले सनु कोरवा के चार बच्चे हैं और ये सभी बच्चे जन्म के बाद से पौष्टिक आहार नहीं मिलने की वजह से कुपोषित हैं।शासन प्रशासन की अनदेखी और महिला एवं बाल विकास विभाग की लापरवाही से इन कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने आज तक कोई पहल ही नहीं की गई और कुपोषण की वजह से इस परिवार के सभी बच्चे दिव्यांग हो गए हैं। इन चार बच्चों में से एक बच्ची की कुपोषण की वजह से तबियत बिगड़ गई जिसके बाद उसे इलाज के लिए बगीचा अस्पताल में दाखिल किया गया जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया।बच्ची की मौत के बाद परिजनों में आक्रोश है।
तो वहीं जिले के कलेक्टर ने जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है।

सुपोषण माह के दौरान कुपोषण से पहाड़ी कोरवा बच्ची की मौत के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि नगरीय क्षेत्र में प्रशासन के नाक के जब कुपोषण से मौतें हो रही है तो ग्रामीण क्षेत्रों में क्या स्थिति होगी इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
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