बालोद जिले के ग्राम बघमरा में हर घर तिरंगा अभियान के तहत तिरंगा झंडा बनाने का काम जोरों पर है। इस अभियान के तहत 04 स्वयं सहायता समूहों की 20 महिलाओं द्वारा दिन-रात काम करके अब तक 6,000 से अधिक तिरंगे झंडे तैयार किए जा चुके हैं। इन झंडों को 35 रुपये प्रति झंडे की दर से बेचकर महिलाओं ने लगभग 2 लाख रुपये की आमदनी अर्जित की है।
महिलाओं की भागीदारी और आत्मनिर्भरता
इस अभियान में शामिल महिलाओं का कहना है कि यह काम न केवल उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत कर रहा है, बल्कि उन्हें देशभक्ति की भावना भी दे रहा है। जय कपिलेश्वर स्वयं सहायता समूह की श्रीमती तिजन बाई ने बताया कि उनकी सिलाई मशीनें दिन-रात चल रही हैं और हर झंडे में उनका प्यार और देश के प्रति सम्मान सिल दिया जाता है।
आर्थिक सशक्तिकरण की कहानी
सहेली स्वयं सहायता समूह की श्रीमती देवकी विश्वकर्मा ने कहा कि पहले वे छोटे-मोटे कामों पर निर्भर थीं, लेकिन इस अभियान ने उन्हें एक नई पहचान दी है। तिरंगा बनाना सिर्फ काम नहीं, बल्कि देश के लिए कुछ करने का जुनून है। इस कमाई से वे अपने बच्चों की पढ़ाई और घर की जरूरतें पूरी कर पा रही हैं।
जिला प्रशासन का सहयोग
कलेक्टर श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा के निर्देश पर जिला प्रशासन ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए व्यापक तैयारियाँ की हैं। इन समूहों को स्थानीय प्रशासन और ग्रामीण आजीविका मिशन का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। तिरंगे बिक्री के लिए शहर में स्टॉल, दुकानों और स्थानीय बाजारों में उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय आजीविका मिशन की भूमिका
राष्ट्रीय आजीविका मिशन बिहान के सहायक परियोजना अधिकारी नितेश साहू ने बताया कि जिले में हर घर तिरंगा अभियान अंतर्गत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की कुल 13 स्वसहायता समूहों द्वारा अब तक 08 हजार से अधिक तिरंगा झण्डा बनाकर विक्रय किया जा चुका है तथा 05 हजार नग झण्डे का आर्डर प्राप्त हुआ है।
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