नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ जंगल से पहली बार प्रकृति के सुंदर जल प्रपात की तस्वीरें वायरल हुई हैं। इन तस्वीरों में फरसबेडा जलप्रपात की अद्भुत सुंदरता देखी जा सकती है, जो अबूझमाड़ के घने जंगलों में छिपा हुआ है। यह जलप्रपात लगभग 120 फीट की ऊंचाई से गिरता है और मानसून के समय इसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई देती है।
दुर्गम रास्ता, लेकिन आकर्षक स्थल
फरसबेडा जलप्रपात तक पहुंचना काफी दुर्गम है, लेकिन अब कुछ सैलानी दुर्गम रास्तों से गुजर कर पहुंच रहे हैं और प्रकृति के इस सुंदर नजारे की तस्वीरें अपने कैमरे में कैद कर रहे हैं। नारायणपुर से कच्चापाल तक पहुंचने के लिए करीब 30 किलोमीटर पक्की सड़क है, उसके बाद 5-7 किलोमीटर का रास्ता कच्चा और ऊबड़-खाबड़ है, जिसे या तो पैदल या बाइक से पार किया जा सकता है।
स्थानीय लोककथाएं और रहस्य
फरसबेडा जलप्रपात को लेकर कई रहस्यमयी लोककथाएं प्रचलित हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि इस जलप्रपात के नीचे एक गुफा है, जो गहरे जंगलों तक जाती है और वहां देव आत्माएं वास करती हैं। इसके अलावा, पूर्णिमा की रात को यहां चमकती रोशनी और अजीब ध्वनियां सुनाई देती हैं, जो साधारण मानव की नहीं होतीं।
पर्यटन की संभावनाएं
अबूझमाड़ क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। अगर प्रशासन इच्छाशक्ति दिखाए तो यह स्थान छत्तीसगढ़ के सबसे सुंदर और अनोखे पर्यटक स्थलों में से एक बन सकता है। हालांकि, अभी तक यहां सरकारी स्तर पर कोई बड़ा विकास कार्य नहीं हुआ है, लेकिन कुछ एडवेंचर ग्रुप्स और स्थानीय युवाओं द्वारा यहां इको-ट्रेकिंग और घूमने के गाइडेड टूर की शुरुआत की गई है।
अबूझमाड़ की विशेषताएं
– अबूझमाड़ क्षेत्र लगभग 5000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें कोई सड़क नहीं है।
– यहां करीब 200 ऐसे गांव हैं जिनकी जगह बदलती रहती है, क्योंकि यहां रहने वाले माड़िया आदिवासी जगह बदल-बदल कर बेरवा पद्धती से खेती करते हैं।
– अबूझमाड़ में विलुप्त होते बाघों के लिए यह क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है और भारत के ६ प्रमुख बाघ आश्रय स्थलों से जंगलो के द्वारा जुड़ा हुआ है।
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