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बीजापुर में बालम मंच पर हुई साहित्य एवं संगीत की प्रतिभाओं का समागम

एक शाम मुंशी प्रेमचंद एवं मोहम्मद रफ़ी के नाम 

बीजापुर के साहित्यकारों एवं कला संगीत की प्रतिभाओं को तराशने एवं उन्हें उपयुक्त मंच देने के लिए बालम नामक मंच की परिकल्पना जिले के कवि बीरा राजबाबू एवं उनके साथी गायक सुजीत मजूमदार ने मिलकर किया। बालम संक्षिप्त नाम है जिसका पूरा नाम बीजापुर आर्ट लिटरेचर एंड म्यूजिक है। 31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद जी की 144 वीं जयंती एवं मोहम्मद रफी साहब की 44 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर एक शाम मुंशी प्रेमचंद एवं मोहम्मद रफ़ी के नाम का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन पटवारी सदन में किया गया संध्या 7:00 बजे से लेकर रात्रि 9:30 बजे तक चले इस कार्यक्रम में सभी ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी एवं उपस्थित श्रोतागण ने भरपूर आनंद लिया। सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र पर पूजा अर्चना किया गया और कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। बीरा जी ने मुंशी जी एवं रफ़ी साहब के जीवनी पर विस्तृत प्रकाश डाला।स्थानीय कवि अमितेश तिवारी ने मां मेरी अभिव्यक्ति के हित ज्ञान के भंडार दे दो के शब्दों से मां सरस्वती की स्तुति की और व्यंग रचना चासनी से डर शक्कर जहर लगता है बीमार हैं वो जिन्हें धर्म कहर लगता है की प्रस्तुति से सभी की तालियां बटोरी। जिले के नामचीन गायक योगेश जुमने ने मोहम्मद रफी साहब की आज मौसम बड़ा बेईमान है एवं मैं एक राजा हूं तू एक रानी है के गीतों से शमा बांधा । वेदांत जुमने ने चौधरी का चांद हो या आफताब हो गाकर दिल जीत लिया ।सुजीत मजूमदार ने हो रहेगा मिलन हमारा तुम्हारा बैजू बावरा फिल्म का गीतकर झूमने पर मजबूर किया।दुर्गेश साहू ने आज की युवा पीढ़ी पर व्यंग्य करते हुए छत्तीसगढ़ी में नशे पर शेरो शायरी की एवं छत्तीसगढ़ महतारी का यशगान किया । राजीव रंजन मिश्रा ने अपनी पत्नी पर रचना करते हुए पहले मरना तुम पीछे से मैं आऊंगा एवं कैसा है दांपत्य तुम्हारा जैसे कविताओं को प्रस्तुत कर सभी को गुदगुदाया। जगदीश झाड़ी ने आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज ना दे गाकर महफिल को पुराने दौर में लेकर गए एवं स्वरचित गजल तुम्हे सामने बिठाकर दीदार चाहता हूं की बेहतरीन प्रस्तुति दी । पुरुषोत्तम चंद्राकर ने बीजापुर जिले की पीड़ा को अपने गीत के माध्यम से सामने रखा सिसकियां लेती है मैंना पहाड़ों के उन चोटों से यह है अपना बीजापुर जैसे गीत से माहौल को गंभीर बनाया। साथ ही निशांत झाड़ी ने दीवाना हुआ पागल सावन की घटा छाई जैसे गीत से तालियां बटोरी।

 

जीवनलाल साहू ने रामेश्वर वैष्णव जी की छत्तीसगढ़ी गीत गांव की जिंदगी मां संगीत भरे हैं सुनाकर सभी ने वाह वाही लूटी। संतोष एंड्रिक ने खोया खोया चांद खुला आसमान की मनमोहक प्रस्तुति दी । डॉ. नीलकंठ जोशी ने हां तुम मुझे यूं भुला न पाओगे जैसे सदाबहार गीत को गाकर महफिल को और खुशनुमा बना दिया। कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों ने भी बारी-बारी से कार्यक्रम के बारे में अपनी बात रखी एवं श्रोता बनकर आए डिप्टी कलेक्टर गीत कुमार सिन्हा ने छत्तीसगढ़ी गीत छैयां भुईयां ला छोड़ जवैयां तैं फिराबे कहां रे की मनमोहक प्रस्तुति देकर पूरा महफिल लूट लिया।कार्यक्रम का संचालन राजबाबू बीरा ने शेर शायरी से माहौल बनाकर किया एवं अपने जीवन के हिस्से का कर्ज लिखता हूं कभी खुद का कभी औरों का दर्द लिखता हूं , तथा एक बड़ा कवि होने का मतलब है पागल हो जाना गजल प्रस्तुत कर तालियां बटोरी श्रंगार रस से सराबोर तुम कौन हो नाजनीन क्या चांद के पार से आई हो जैसे शेर पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूरे कार्यक्रम में अच्छे श्रोता के रूप में फ्रांसिस तिर्की, ईशांत तिर्की,उमा महेश रेड्डी एवं अन्य कई लोग उपस्थित रहे।

Nbcindia24

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