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बघमरा, दरबारी नवागांव, डेंगरापार, परसदा, सुंदरा, भोथली, ओरमा, मेढ़की, पररेगुड़ा, हीरापुर, सिवनी, देऊरतराई, औराभाठा से होकर गुजरी बूढ़ादेव रथ

जगह-जगह ग्रामवासियों ने किया पूजा-अर्चना

 

Chhattisgarh/
बालोद – सोमवार को ग्राम बघमरा से बूढ़ादेव यात्रा की शुरुआत हुई। सुबह 11 बजे बूढ़ादेव रथ बघमरा प्रवेश द्वार पर पहुंची। जहां छत्तीसगढ़ी रीति रिवाज से एक कलसा पानी रास्ते में डाल कर भगवान को गांव में आमंत्रित किया गया। इस दौरान गांव की महिलाओं ने बूढ़ादेव की पूजा अर्चना की। गांव की युवतियां व बच्चे बस्तरिया नृत्य करते रहे। ग्रामवासियों ने बूढ़ादेव रथ में चांवल व नारियल चढ़ा कर विदा किया। बालोद गुड़ी की रथ दरबारी नवागांव, डेंगरापार, परसदा, सुंदरा, भोथली, ओरमा, मेढ़की, पररेगुड़ा, हीरापुर, सिवनी, देऊरतराई, औराभाठा के बाद जब रात 8 बजे पारागांव पहुँचीं तब ग्राम प्रमुखों ने भव्य स्वागत किया। डीजे में देव गीत की धुन पर गांव का भ्रमण कराया गया। ग्राम प्रमुखों ने गांव के देवता को मना कर मिट्टी लेने की अनुमति ली फिर रथ के कलश में मिट्टी डाला गया।

फटाखे-फोड़े जा रहे, धूप-अगरबत्तियां जल रही है, गांवों में नवरात्रि जैसा माहौल है – अमित बघेल

 

छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के प्रदेशाध्यक्ष अमित बघेल ने कहा कि पूरे छत्तीसगढ़ के हर जिलों में देवालयों से एक चुटकी मिट्टी लेने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। नवरात्रि शुरू होने से पहले ही नवरात्रि जैसा माहौल लग रहा है। जहां-जहां रथ पहुंच रही है। गांव के छत्तीसगढ़िया समाज के लोग अपने कुल देवता का पूरा सम्मान कर रहे हैं। छत्तीसगढ़िया समाज के लोग बूढ़ादेव रथयात्रा को आगे बढ़ाते हुए गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। यह पूरे छत्तीसगढ़ को गौरव करने वाली बात है। अब छत्तीसगढ़ को हमारे देवता बूढ़ादेव के नाम से जाना जाएगा। 18 अप्रैल को रायपुर में भव्य आयोजन के बीच देवता को बूढ़ा तालाब लाएंगे। इस दौरान लाखों छत्तीसगढ़िया समाज के लोग साक्षी बनेंगे।

गांव की शक्तियों को लेकर आगे बढ़ रहे, बूढ़ादेव ही सर्व छत्तीसगढ़िया समाज को एक करेंगे – शशिभूषण

 

छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के जिला संयोजक शशिभूषण चंद्राकर ने बताया कि गांव के डीही-डोंगर, गांव के पुरखा देवता, शीतला माता, बूढ़ादेव के मंदिरों से पवित्र माटी की शक्तियों को लेकर रथ आगे बढ़ रही है। रथ के साथ ही अन्य-अन्य जातियों में बंटे छत्तीसगढ़िया समाज के लोगों को एक होने का संदेश दिया जा रहा। बूढ़ादेव के आशीर्वाद से बहुत जल्द छत्तीसगढ़िया समाज के लोगों की सिर्फ एक ही जाती होगी। और वो जाती होगी छत्तीसगढ़िया। छत्तीसगढ़िया समाज के लोगों के एक होते ही चौंक-चौराहों, हमारे धरोहरों से देवताओं के नाम बदलने की राजनीति खत्म हो जाएगी।

45 गांव की यात्रा पूरी हो चुकी है, 389 गांव अभी बचे हैं

 

बालोद गुड़ी बूढ़ादेव रथ यात्रा के सहायक संचालक व छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के खंड प्रभारी सुभाष साहू ने बताया की तीन दिनों में 45 गांव की यात्रा पूरी हो चुकी है। देर रात तक लगातार सफर जारी है। गांव के ग्रामीणों के द्वारा ही भोजन और रहने की व्यवस्था की जा रही है। रात में गांव में ही रथ को रखा जाता है। रथ की सुरक्षा के लिए जिस गांव में रुकते हैं उस गांव के पदाधिकारी रात जाग कर पहरा देते है। इसके बाद रथ आगे बढ़ जाती है। अभी 389 गांव का भ्रमण करना बचा हुआ है। रथ यात्रा में जिला सह संयोजक चंद्रभान साहू, देवेंद्र साहू, राजू साहू, भगवान दास साहू, दीपक सहारे, दानी साहू, केदार साहू, कमलेश साहू, ललित कांवरे, प्रेम साहू, बीरेंद्र उइके, शिव पटेल शामिल हैं।

Nbcindia24

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