Nbcindia24/Balod/बतला दे कि बालोद जिले के महामाया माइंस क्षेत्र के ग्रामीण बीते कई सालों से क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं वह पुरुषों को माइंस में काम देने की मांग को लेकर विभिन्न संगठनों द्वारा समय-समय पर धरना प्रदर्शन व चक्का जाम किया जाता रहा है. लेकिन बीएसपी प्रबंधन हर बात ग्रामीणों को काम के बदले बस आश्वासन ही दिए. ऐसे में आक्रोशित ग्रामीण विगत 1 मार्च से शिवसेना के बैनर तले महामाया माइंस के सामने धरने पर बैठ गए. जहां 4 मार्च से धरना प्रदर्शन के साथ ही आंदोलनरत ग्रामीणों ने 7 मार्च तक माइंस की गाड़ियों को रोक चक्काजाम शुरू कर दिया. जिसे देखते हुए एक बार फिर बीएसपी प्रबंधन आंदोलनरत ग्रामीणों के पास पहुंच 10 माह में नया काम चालू कर काम में रखने का आश्वासन दिया गया।
जिसके बाद आंदोलनकारियों ने अपना धरना प्रदर्शन चक्का जाम स्थगित कर दिया था. लेकिन पुनः अपनी आवाज बुलंद करते हुए आंदोलनरत ग्रामीण 2 दिन बाद ही 9 मार्च से धरना प्रदर्शन और चक्काजाम प्रारंभ कर दिया. जिसके बाद बीएसपी प्रबंधन ने आंदोलनकारियों के खिलाफ महामाया थाना में लिखित शिकायत कर दिया. वही माइंस में काम दिलाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे श्रीमती जमीला बेगम, आंदोलन के नेतृत्व कर्ता बलराम निषाद का कहना है कि जब तक हमारा मांग पूरा नही होता तब तक हमें जेल भेजे या कुछ भी करें हम अपने आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।
महामाया थाना प्रभारी अरुण कुमार साहू ने कहा बीएसपी प्रबंधन द्वारा आंदोलनरत ग्रामीणों के खिलाफ लिखित शिकायत किया गया
जिसके बाद आंदोलनरत ग्रामीणों को हिरासत में ले दल्ली राजहरा ओपन थिएटर को अस्थाई जेल बना प्रदर्शनकारियों को लाया गया जहां 41 पुरषों व 43 महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए न्यायालय में पेश किया. जिनमें से 46 महिलाओं को बेल दे 41 पुरुषों को रिमाण्ड पर जेल भेज दिया गया।

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