अनोखी परंपरा:- यहाँ रावण की नही सहस्त्रबाहु की मट्टी का पुतला बना किया जाता है वध।

Nbcindia24/सन्देश गुप्ता धमतरी/ दशहरा का पर्व पूरे भारत में रावण दहन की के मनाया जाता रहा है.. लेकिन सिहावा में कुछ अनोखी ही परंपरा है.. यहां दशहरे में रावण की जगह सहस्त्रबाहु का वध होता है… मिट्टी का नग्न पुतला बनाया जाता है.. पुलिस चांदमारी करती है.. महिलाओ का इस रावण को देखना वर्जित है.. इस सैकड़ो साल पुराने परंपरा को देखने हर साल हजारो की संख्या में लोग जाते है।

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छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर बसा है सिहावा… ओडिशा राज्य की सीमासे लगे सिहावा की पहचान… यहां के श्रृंगी ऋषि सहित सप्त ऋषियो के आश्रम से है… महानदी का उद्गम से है… और साल के जंगल से तो होती ही है… यहा का अनोखा दशहरा भी सिहावा को अलग ही पहचान देता है… दशहरा मतलब पूरे भारत में शक्ति पूजा… शस्त्र पूजा.. रावण के पुतले के दहन के बाद उत्सव मनाना है…. लेकिन सिहावा की परंपरा पूरे भारत से जुदा है…. यहां दशमी के बजाय.. एकादशी के दिन दशहरा मनाया जाता है… रावण के पुतले की जगह सहस्त्रबाहु यानी महिरावण का पुतला बनाया जाता है.. पुतला भी मिट्टी से बनता है.. वो भी नग्न… सिहावा के शीतला मंदिर का पुजारी.. शीतला माता के खड्ग से महिरावण का वध करता है… शीतला माता मंदिर के पुजारी तुकाराम और स्थानीय लोगो ने बताया कि ये परंपरा सदियो से चली आ रही है…

जानकार इस अनोखी परंपरा के पीछे पौराणिक कहानी का हवाला देते हुए बताते है… जब भगवान श्रीराम ने लंकापति दशानन रावण का वध कर दिया औ्र सीता माता से मिले.. तब सीता माता ने उन्हे बताया कि.. अभी युद्ध खत्म नहीं हुआ है… अभी आपको सहस्त्र बाहु का भी वध करना है… तब भगवान राम ने सहस्त्रबाहु पर… सेना सहित आक्रमण किया.. लेकिन ब्रहमा से मिले वरदान के कारण.. श्रीराम उसका वध नहीं कर सके.. और सहस्त्रबाहु ने मर्यादा तोड़ते हुए.. सीता माता के सामने अपने वस्त्र खओल दिये औ्र नग्न हो गया…. तब सीता माता ने कालिका का रूप धर के.. अपने खड्ग से महिरावण का वध किया था… इसि कारण सिहावा में भी नग्न रावण का वध होता है…

 

सिहावा के इस उत्सव में आसपास के गांव से हजारो लोग शामिल होते है…. जिनमें ओडिशा राज्य के लोग भी होते है… सिहावा के दशहरा में पुलिस की भी अहम भूमिका रहती है.. जब शीतला मंदिर से पुजारी खड्ग लेकर निकलते है.. तो पूरे गांव का पहले भ्रमण करते है… उनके साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण भी रहते है… सारे लोग सिहावा के थाने में जाते हैं… वहां पुलिस अपनी बंदूक से चांदमारी करती है…. उसके बाद ही पुजारी खड्ग लेकर नग्न रावण का वध करने आगे बढ़ता है… क्योंकि महिरावण का पुतला नग्न बनाया जाता है… इस कारण वध स्थल पर महिलाओ का जाना वर्जित रहता है…

इस अनोखे दशहरे को देखने दूर दराज से लोग आते है…. अगर आप भी सिहावा के अनोखे दशहरे को अपनी आंखो से देखना चाहे.. तो एकदशी के दिन जरूर सिहावा जाएं, और उत्सव के साथ अनोखा अनुभव भी लें..

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