धमतरी @ आज पूरे देश भर में कृष्ण जन्माष्टमी हर्ष उल्लास और धूम धाम से मनाया जा रहा है वही धमतरी में दूसरा मंदिर जो वृन्दावन के नाम से जाने जाना लगा है इस मंदिर में बाके बिहारी का अपना ही अलग महत्व है .
बताया जाता है सदर रोड स्थित बाके बिहारी का मंदिर की प्रतिमा 101 साल पुरानी है . जहां पहुंचने मात्र से ही सकारात्मक अनुभूति होती है .इस प्रतिमा को 1923 में अयोध्या से लाया और फिर इसको स्थापित की गई वृन्दावन में जिस प्रकार से बाके बिहारी का मनोरम छवि प्रतिमा में दिखता है ठीक वैसे ही धमतरी के बाके बिहारी की छवि प्रतिमा में दिखता है।
मान्यता है कि जहां आसपास के अलावा दूर दराज से भक्त मत्था टेकने आया करते हैं सभी की मनोकामना भगवान बाके बिहारी पूर्ण करते हैं.वैसे तो मंदिर का इतिहास काफी पुराना है कहा जाता है धमतरी जिले की सबसे पुरानी वैष्णव मंदिर है तो केवल शहर के सदर रोड में स्थित बाके बिहारी लाल का ही है .
जब जन्माष्टमी आता है तो मानो भक्तों का तो तांता ही उमड़ पड़ता है ,तरह तरह का कार्यक्रम कर भक्त अपने कृष्ण का जन्मोत्सव मनाते है ,हमारे धर्म शास्त्रों में भी कहा गया है जिस मंदिर को 100 साल हो जाता है वहां भगवान अदृश्य रूप में साक्षात विराजमान हो जाते है.इस मंदिर में आने से लोगो को एक सकारात्म ऊर्जा का अनुभव होता है.जैसे वृंदावन में बाके बिहारी का प्रतिमा है वैसे ही यह प्रतिमा दिखाई देती है ।
भक्त श्रद्धा पूर्वक मंदिर में जाकर प्रतिमा के सामने माथा टेकते हुए अपने मनोकामना मांगते है ।बताया जाता है मंदिर में बाके बिहारी लाल भक्तों के मनोकामनाओं को सालों से पूरा करते आ रहे हैं यही वजह है भक्तों का तांता दिन ब दिन बढ़ते चला जा रहा है।
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