उजड़ते हुए राजहरा शहर की सुध लेगा कौन है ? ना सरकार को चिंता ना ही स्थानीय प्रशासन को -एम एस श्रीजीत

Nbcindia24/वीरेन्द्र भारद्वाज/ दल्लीराजहरा। आज से वर्षों पूर्व दल्ली राजहरा एवं महामाया में लौह अयस्क खदानों की स्थापना हुई सेल द्वारा इतने वर्षों में अरबो का मुनाफा कमा भारत के नवरत्न कंपनियों में से एक कंपनी बन गई पर जिस शहर के बलबूते पर यह सब हुआ उसे आज उजड़ने के लिए छोड़ दिया गया है। आज महामाया पूरी तरह उजड़ चुका है महामाया में बने क्वार्टर हॉस्पिटल स्कूल सब आज खंडहर में तब्दील हो चुका है आसपास के क्षेत्रों को अब जरूरी सुविधाओं के लिए दूसरे जगह पर निर्भर होना पड़ रहा है। अपना कार्य होने के बाद प्रबंधन द्वारा क्षेत्र के विकास हेतु कोई कार्य नही किया फलस्वरूप आज महामाया क्षेत्र पूरी तरह पिछड़ चुका है।

अब इसी राह पे है दल्ली राजहरा भी जैसे जैसे माइंस से आयरन ओर की खपत कम होते जा रहा है शहर से भी सुविधाओं को छीन लिया जा रहा है।पिछले दो दशकों में स्वास्थ, शिक्षा एवं रोजगार में पिछड़ता जा रहा है दल्ली राजहरा। माइंस में चल रहे हैं भ्रष्टाचार एवं अधिकारियों की अनदेखी का पूरा खामियाजा शहर के नागरिकों पर पड़ रहा है सैकड़ों आंदोलन के बाद भी प्रशासन और ना ही बीएसपी प्रबंधन द्वारा कोई भी ठोस कदम उठाया गया और जिसके परिणामस्वरूप जनगणना सर्वे में दो दशक में दल्ली राजहरा के जनसंख्या में भारी गिरावट हुई है।

*माइंस जैसे जगह की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह ठप*

किसी भी माइनिंग क्षेत्र में दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है ऐसे जहर पर सर्वसुविधायुक्त स्वास्थ्य व्यवस्था होनी चाहिए। पूर्व में दल्ली राजहरा में स्थित बीएसपी अस्पताल सर्व सुविधा युक्त हुआ करता था नगर एवं आसपास क्षेत्र के लोग अपनी इलाज हेतु बीएसपी अस्पताल आते थे। सभी प्रकार के उपकरण एवं विशेषज्ञ डॉक्टर स्टाफ के मदद से ये हॉस्पिटल वर्षो नगर के स्वास्थ्य व्यवस्था को संभाले रखा था। वर्तमान स्थिति में हॉस्पिटल का आधे से ज्याद हिस्सा बंद पड़ा है, डॉक्टर एवं स्टाफ की कमी है, ऐक्स-रे , सोनोग्राफी, ईसीजी मशीन तक उपलब्ध नही है बीएसपी के कर्मचारियों एवं उनके परिवार को कोई भी स्वास्थ्य सुविधा नही मिल पा रही है इतना बड़ा हॉस्पिटल मात्र रेफरल सेंटर बन कर रह गया है कर्मचारियों की कमी एवं वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों की लापरवाही के कारण कितनी जाने जा चुकी है।

*एडुकेशन हब बन सकने वाले शहर के बहुत से स्कूल हुए बंद।*

शिक्षा क्षेत्र में भी नगर में पूर्व में हिंदी एवं अंग्रेजी माध्यम के स्कूल संचालित थी। नगर में 6 हाई स्कूल 3 हायर सेकंडरी स्कूल संचालित थी पर एक के बाद एक सभी को बंद कर दिया गया। साथ ही साथ बीएसपी द्वारा नगर के एकमात्र अंग्रेजी माध्यम स्कूल का निजीकरण कर डीएवी को सौप दिया गया और यंहा कार्यरत शिक्षकों का ट्रांसफर कर दिया गया और हाल ही में नगर के सबसे बड़े विद्यालय बीएसपी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रम 2 को भी बिना किसी ठोस कारणों के बन्द कर दिया गया जिससे संविदा में लगे बहुत से शिक्षक बेरोजगार हो गए और छात्रों को भी अन्य जगहों में प्रवेश के लिए मशक्कत करनी पड़ी। नगर में सबसे ज्यादा केंद्रीय कर्मचारी होने के बावजूद भी केंद्रीय विद्यालय फ़ाइल में ही लॉक है, और बीच बीच मे इसके स्थानांतरण की बात आते रहती है। बीएसपो के द्वारा भिलाई में एक यूनिवर्सिटी को कई एकड़ जमीन महाविद्यालय के लिए दिया गया पर इतने वर्षों में दल्ली राजहरा में प्रबंधन द्वारा उच्च शिक्षा हेतु कोई पहल नही की गई।

*पर्यटन स्थलों को भी देखरेख के अभाव में उजाड़ दिया।*

पर्यटन के नाम से निर्मित बहुत सी पर्यटन स्थल आज देखरेख के अभाव में पूरी तरह उजड़ चुका चुका है। बॉडी डैम,सप्तगिरी पार्क सभी रखरखाव के अभाव में प्रतिदिन उजड़ते जा रहा है। इसके विपरीत भिलाई स्टील प्लांट भिलाई द्वारा आज इतने वर्षों बाद भिलाई को सुंदर एवं सर्व सुविधा युक्त बनाने के कार्य पर अग्रसर है।नगर में अब बीएसपी कर्मचारियों एव अन्य लोगो के मांगलिक कार्यो के लिए कोई भी सर्वसुविधायुक्त भवन नही रहे सभी भवन जर्जर हो चुके है और अनेक बार मरम्मत के नाम पे भ्र्ष्टाचार हो चुके है। आज माइंस के कर्मचारियों को भी वैवाहिक या अन्य कार्यक्रमों में अन्य भवनों का अधिक भार उठाना पड़ता है।

*खेल नगरी नाम से मशहूर शहर के खिलाड़ी सुविधाओं से वंचित*

खेल एवं कला क्षेत्रों में भी बीएसपी की रुचि अब कम हो चुकी है बीएसपी में कार्यरत बहुत से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी को अपने स्वयं के व्यय पर ही बहुत से प्रतियोगिता में बीएसपी का प्रतिनिधित्व करना पड़ता है। नगर में सुप्रसिद्ध आयरन ऒर फुटबॉल टूर्नामेंट भी बन्द हो गए, कहीं राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दे चुके नगर के जिम एथलेटिक क्लब फुटबॉल ग्राउंड बैडमिंटन क्लब आज देखरेख के अभाव में पूरी तरीके से खराब हो चुके है कला के क्षेत्र में भी बीएसपी द्वारा पूर्व में बहुत से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था जिससे लोगों में छुपी प्रतिभा का उजागर होता था परंतु इन चीजों को भी फंड एवं स्टाफ की कमी बताते हुए बंद कर दिया गया।

*कर्मियों की सुविधा में भी कटौती*

उच्च अधिकारियों द्वारा बेहतर शिक्षा एव अन्य सुविधाओं के लिए अपने परिवारों को भिलाई शिफ्ट कर चुके है और मेहनतकश मजूदर एवं कर्मियों की सुविधा में कटौती कर रही है, बीएसपी के अधिकांश कार्टर आज जर्जर हो चुके है,समय के अनुरूप सुविधाओं के अभाव में कर्मचारियों को अपने जेब से खर्च कर मरम्मत कर इसमे रहना पड़ रहा है ।
सड़क जर्जर हो चुकी है, स्ट्रीट लाइटों का भी मरम्मत कार्य वर्षो से नही हुआ है। टाउनशिप में वर्षो से सफाई का टेंडर नही निकला है जिससे हर जगह गाजर घास और नालियां जाम हो चुकी है।

*रेल्वे को करोड़ो का मुनाफा पर बदले में कोई सुविधा नही

रेल्वे के द्वारा लौह अयस्क का परिवहन कर करोड़ो रूपये का मुनाफा बना रही है, परंतु 3 दशक से भी ज्यादा समय से जनता द्वारा किये जा रहे मांगो पर कोई भी सकारात्मक पहल तक नही किया जा रहा है। दल्ली से बिलासपुर के लिए ट्रेन, दैनिक लोकल ट्रेन की फेरो की बढ़ोतरी, रेल्वे जमीन में बस लोगो को स्थाई पट्टा एवं अन्य बहुत से मांगो को लेकर नगर की जनता कई बार गुहार लगा चुकी है परंतु परिणाम शून्य ही है।

इन सब के पीछे आखिर जवाबदेही किसकी, बीएसपी द्वारा करोड़ों की रॉयल्टी प्रशासन को देने की बात कर अक्सर इन कार्यों से अपना पलाड़ा झाड़ लेती है। नगर में इतने श्रमिक संगठन होने के बाद भी कर्मचारियों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है बीएसपी के उच्च पदों पर बैठे अधिकारी अपने आप भिलाई शिफ्ट कर लिया है इनके द्वारा ना शहर की भलाई के लिए ना शहर के व्यापार में किसी प्रकार का सहयोग प्राप्त होता, शासन से अनुमति मिले बहुत से कार्य सिर्फ बीएसपी द्वारा भूमि हस्तांतरण ना करने के कारण अटके हुए है। जनप्रतिनिधियों एवं ट्रेड यूनियन के अनेक आंदोलन एवं विरोध का भी इन पर कोई असर नही पड़ता। नगर से प्राप्त सीएसआर के फंड का उपयोग अन्य जिलों के विकास में लगाने की बात भी कई बार सामने आ चुकी है।

नगर के श्रमिक संगठन एवं जनप्रतिनिधि भी हर बार बीएसपी पर आरोप-प्रत्यारोप करते हैं उनकी तरफ से कोई भी ठोस कदम प्रबंधन के खिलाफ नहीं उठाया जाता और इसी बात का फायदा उठा बीएसपी ईस्ट इंडिया कंपनी के तर्ज पे कार्य कर रही है। डीएमएफ फंड से प्राप्त राशि का उपयोग व्यर्थ कार्यो, सामग्री खरीदी एवं मरम्मत कार्य मे लगा कर लाभ का बड़ा हिस्सा डकार लिया जाता है।अब भी अगर जनता जागरूक नही हुई तो वो दिन दूर नही जब दल्ली राजहरा की स्तिथि भी महामाया माइंस एवं नंदिनी माइंस की तरह होगी।

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