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Nbcindia24/वीरेंद्र भारद्वाज/दल्लीराजहरा। केंद्र सरकार द्वारा लौह अयस्क नगरी दल्ली राजहरा को जिन्दा रखने हेतु सेल द्वारा प्रस्तावित विभिन्न परियोजनाओं को समय-समय पर मंजूरी दी जाती रही है। पेलेट प्लांट परियोजना, स्लाईम बेनेफिसिएशन यूनिट, सिलिका रिडक्शन प्लांट आदि ऐसे परियोजनाएं हैं जिन्हे उजड़ते दल्ली राजहरा के लिए संजीवनी मानी जा रही है। अरबों रुपये के इन परियोजनाओं में जो पैसे लगे हैं ये पैसे किसी व्यक्ति विशेष के न होकर आम जनता के गाढ़ी कमाई के पैसे हैं जिन्हे जनहित हेतु केंद्र सरकार द्वारा इन परियोजनाओं के माध्यम से सेल जैसे महारत्न केंद्रीय सार्वजानिक उपक्रम को खर्च करने की अनुमति प्रदान की गयी है। किन्तु ऐसा लगता है कि सेल के इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र और उसके बंधक खदान समूह राजहरा खदान समूह के कतिपय अधिकारीगण इस सार्वजानिक पैसे को अपना समझ कर इन जनहित के परियोजनाओं के पैसे में से अपनी कमाई का रास्ता निकलने का प्रयास कर रहे हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण है दल्ली यंत्रीकृत खदान में चल रही सिलिका रिडक्शन प्लांट परियोजना जिसे बनाने का ठेका भिलाई के बीएसबीके कंपनी को मिला है।
इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए भा.म.सं. के जिलामंत्री मुस्ताक अहमद एवं भा.म.सं. से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के अध्यक्ष (केंद्रीय) एम.पी.सिंह ने बताया कि उक्त परियोजना मार्च २०२१ में शुरू की गयी थी और इसे नवंबर २०२२ तक पूरा हो जाना था। किन्तु उक्त परियोजना पूरी न हो सकीय जिसके वजह से राज्य सभा में केंद्रीय इस्पात मंत्री को जवाब देना पड़ा जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट कहा कि उक्त परियोजना में हुई देरी के मुख्य वजह ठेका कंपनी का खराब एवं अंडर रेटेड परफॉरमेंस, ठेका कंपनी द्वारा इस परियोजना में लगने वाले मशीनें, कल पुर्जों आदि की खरीदी हेतु जानबूझ कर देरी करना आदि है। इस्पात मंत्री के इस जवाब की प्रतिलिपि संघ को प्राप्त हुई जिसके उपरान्त संघ ने अपने स्तर पर मामले की आंतरिक जांच की। इस जांच में कई ऐसे तथ्य सामने आये जिसके विश्लेषण से इस परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की सम्भावना बनती है। तब संघ ने काफी विचार करने के उपरान्त सम्प्पोर्ण मामले को क्षेत्रीय सांसद मोहन मांडवी के समक्ष रखते हुए विस्तृत चर्चा की और पूरे मामले में सीबीआई/सीवीसी जांच हेतु अग्रेषित करने का निवेदन किया। इसके अलावा संघ ने सांसद को यह भी जानकारी दी कि राजहरा खदान प्रबंधन द्वारा केंद्र सरकार के बनाये नियम कानूनों की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही है और राजहरा यंत्रीकृत खदान में कार्यरत ठेका श्रमिकों का खुला शोषण किया जा रहा है। केंद्र सरकार के नियमानुसार ये श्रमिक कम से कम बिलो ग्राउंड के लिए तय किये न्यूनतम वेतन के हकदार बनते हैं किन्तु उन्हें ओपनकास्ट खदान का न्यूनतम वेतन दिया जा रहा है और इस सम्बन्ध में संघ ने आवश्यक दस्तावेज भी सांसद को सौंपी। तब संघ के जानकारी पर सांसद ने स्वयं इस परियोजना का एवं राजहरा यंत्रीकृत खदान का स्थल निरिक्षण करने और संघ के प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति में प्रबंधन से समीक्षा बैठक करने की बात कही।इस तारतम्य में कांकेर लोकसभा सांसद मोहन मांडवी ने विगत दिनों खदान का दौरा किया। सर्वप्रथम वे गेस्ट आये जहाँ भा.म.सं के प्रतिनिधिमंडल द्वारा भव्य स्वागत किया गया इसके उपरांत वे भा.म.सं के प्रतिनिधिमंडल के साथ दल्ली यंत्रीकृत खदान गए जहाँ उन्होंने बीएसबीके द्वारा निर्माण किये जा रहे सिलिका रिडक्शन प्लांट का स्थल निरिक्षण किया। स्थल पर खदान के कार्यकारी निदेशक समीर स्वरुप, राजहरा खदान समूह के मुख्य महाप्रबंधक गहरवार, दल्ली यंत्रीकृत खदान के महाप्रबंधक शिरपुरकरजी आदि उपस्थित थे।स्थल निरिक्षण के दौरान सांसद ने प्रोजेक्ट इंचार्ज उमेश भरद्वाज से चर्चा करना चाहा जिसपर उन्हें यह बताया गया कि वो नहीं आये हैं। इसपर सांसद महोदय ने स्पष्ट कहा कि ऐसे अधिकारी जो आज के दिन जानबूझ कर स्थल से गायब हैं उनके कर्तव्यनिष्ठा पर स्पष्ट रूप से प्रश्नचिन्ह लगता है और ये सोंचने की बात है कि ऐसे लापरवाह अधिकारी को इतने महत्वपूर्ण परियोजना का इंचार्ज कैसे बना दिया गया? इसके उपरान्त उन्होंने प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर से चर्चा करने की बात कही तब उन्हें अधिकारीयों द्वारा कहा गया कि वे भी अपने ऑफिस में हैं साइट पर नहीं हैं? इसपर संघ के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर को जानबूझ कर उच्च अधिकारीयों द्वारा आज आने से रोका गया है तब सांसद ने प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर को बुलाने की बात की। उनके कहने पर प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर मनोज को बुलाया गया जिससे सांसद महोदय ने परियोजना से सम्बंधित पूछताछ की और कुछ दस्तावेजों की मांग की जिसे शीघ्र ही उपलब्ध कराने की बात मनोज द्वारा कही गयी। इसके बाद सांसद द्वारा पीसीसीएफ प्लांट, निर्माणाधीन पेलेट प्लांट एवं वर्ष 2020 में घटी फेटल दुर्घटना जिसमें अतिराम नामक एक अकुशल आदिवासी श्रमिक की मौत हुई थी का स्थल निरीक्षण किया और उपस्थित अधिकारीयों को आवश्यक दिशा निर्देश दी। निरिक्षण के दौरान संघ के प्रतिनिधियों ने उन्हें ओल्ड कंप्रेसर गैरेज भी दिखाया जिसमें केंद्र सरकार के बनाये नियम कानून की स्पष्ट अवहेलना करते हुए प्रबंधन द्वारा बीएसबीके के श्रमिकों को रहने की अनुमति प्रदान की गयी है। चूँकि दल्ली यंत्रीकृत खदान का निरिक्षण करते समय ज्यादा लग गया अतएव राजहरा यंत्रीकृत खदान का निरिक्षण अगले दौर में करने की बात कहते हुए सांसद ने राजहरा कार्यालय स्थित मुख्य महाप्रबंधक के कांफ्रेंस हॉल में भा.म.सं. के प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति में प्रबंधन के अधिकारीयों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में संघ की तरफ से बात रखते हुए भा.म.सं. के जिला मंत्री मुस्ताक अहमद ने परियोजना से सिलिका रिडक्शन प्लांट जुड़ी कई अनियमितताओं को प्रमुखता से रखा जिसपर सांसद ने मामले के निष्पक्ष निष्कर्ष पर पहुँचने हेतु तत्काल लिखित रूप से कुछ जानकारियां मांगी और स्पष्ट रूप से कार्यकारी निदेशक खदान को इन्हे एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध कराने को कहा जिसपर कार्यकारी निदेशक ने हामी भरी । इसके उपरान्त संघ द्वारा राजहरा यंत्रीकृत खदान में ठेका श्रमिकों के शोषण की बात राखी गयी जिसपर सांसद ने तत्काल लिखित रूप से मामले को पंद्रह दिनों के भीतर संघ के साथ चर्चा कर समुचित समाधान निकालने हेतु दिशा निर्देश दिया जिसपर प्रबंधन की तरफ से हरसंभव प्रयास करने की बात कही गयी।बैठक में संघ की तरफ से ख.म.सं. भिलाई के अध्यक्ष एम.पी.सिंह, उप महा सचिव लखन लाल चौधरी, केंद्रीय उपाध्यक्ष राजीव सिंह, संगठन मंत्री विनोद कुमार एवं भा.म.सं. बालोद जिला मंत्री मुस्ताक अहमद और समाजसेवी कृष्णा सिंह, सांसद प्रतिनिधि राजेश दाशोडे, श्याम जयसवाल, मेवालाल पटेल,मंडल अध्यक्ष राकेश दि्वेदी,डौडी मंडल अध्यक्ष मनीष झा एवं अन्य भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित थे।

 

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