आयोलाल झूलेलाल के नारों से गुंजा शहर, निकली भव्य बाइक रैली सिंधी समाज दल्लीराजहारा की ।

Nbcindia24/वीरेंद्र भारद्वाज/ दल्लीराजहरा। सिंधी समाज अपने इष्टदेव भगवान झूलेलाल के अवतरण दिवस चेट्रीचंद्र मनाएगा जिसके उपलक्ष में दल्लीराजहरा सिंधी समाज द्वारा  21 मार्च को विशाल बाइक रैली का आयोजन किया गया। बारिश व बदलते मौसम को दरकिनार कर शाम 5 बजे यह रैली सिन्धी भवन से आरंभ हो कर गुप्ता चौक, बस स्टैंड चौक श्रमवीर चौक से होते हुवे पुराना बाजार से होते हुवे गुप्ता चौक में समाप्त हुई । डीजे के सिंधी गानों की धुन पर यह रेली हुई जिसमें समाज के बच्चे, महिला ,युवा व वरिष्ठजन शामिल थे | जिसमें जैन भवन चौक पर आयोलाल – झूलेलाल की गूंज व जय जय झूलेलाल से नगर गूंज उठा साथ ही नगर के ह्रदय स्थल गुप्ता चौक पर भगवान झूलेलाल की आरती व भारतीय नव वर्ष के उपलक्ष्य में भारत माता की आरती की गई व हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा व हनुमान भगवान की आरती की गई | जिसमें नगर के अन्य समाज के लोग भी शामिल हुए जिसके पश्चात पूज्य सिंधी भवन में प्रसाद पोहा, जलेबी व चाय की व्यवस्था से यह कार्यक्रम का समापन हुआ । 23 मार्च को पूज्य सिंधी भवन में चेट्रीचंद्र का कार्यक्रम रखा गया । सिंधी समाज के लिए चेटीचंड पर्व का विशेष महत्व है।धार्मिक मान्यता है कि संत झूलेलाल स्वर्ग के देवता वरुण के अवतार हैं। चेटीचंड का मतलब चैत्र का चांद से है। इस दिन से सिंधी नववर्ष की शुरूआत होती है। चैत्र माह से सनातन नववर्ष की भी शुरूआत होती है।यह पर्व हर साल चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है।इस दौरान साधक पूजा प्रार्थना कर सकते हैं। सिंधी समाज के लिए चेटीचंड पर्व का विशेष महत्व है। इसी अवसर पर कल दल्लीराजहरा के सिंधी समाज द्वारा चेटीचंड बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। दोपहर को भगवान झूलेलाल जी की पूजा एवम भजन कीर्तन किया उसके पश्चात् भंडारे का आयोजन किया गया था इस कार्यक्रम में समाज के बच्चे बड़े एवं बुजुर्ग सभी उपस्थित रहे एवम इस कार्यक्रम का आनंद उठाया । चेटी चंड के अवसर पर भक्त लकड़ी का मंदिर बनाकर उसमें एक लोटा जल रखकर ज्योति प्रज्वलित करते हैं, जिसे बहिराणा साहब कहा जाता है. शाम को बहिराणा साहब निकाला गया जो पुराना बाजार से गुप्ता चौक, बस स्टैंड चौक से होते हुवे चिखलकासा तालाब तक समाप्त हुआ इसमें भगवान झूलेलाल जी की प्रतिमा को बहुत ही सुंदर सजा कर बेहराने की शोभा को बढ़ाया। चिखलाकसा में ज्योत का विसर्जन किया गया उसके बाद भोजन की व्यवस्था की गई थी।

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