अंतिम स्मरण:.. पाटेश्वर धाम के संस्थापक महंत राम जानकी दास महात्यागी नहीं रहे, 15 दिनों से आईसीयू में रहने के बाद आज ली अंतिम सांस, दोपहर तक पाटेश्वर धाम पहुंचेगा पार्थिव शरीर… पढ़ें विस्तृत खबर…

Chhattisgarh/बालोद – पाटेश्वर धाम की पहाड़ों में धुनि जमा कर तप करने वाले महात्यागी संत राम जानकी दास अब इस दुनिया में नहीं रहे। 82 वर्ष की उम्र में रात 12 बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली। वे पिछले 15 दिनों से रायपुर के अस्पताल में आईसीयू पर थे। आपको बता दें मठेश्वर श्री राम जानकी दास छत्तीसगढ़ के ऐसे संत थे जिन्होंने श्री राम भगवान की जीवन भर सेवा की। महंत दिन रात भगवान श्री राम की सेवा में लीन रहते थे। कई वर्ष पूर्व साधना के लिए अकेले पाटेश्वर धाम के जंगलों में चले आये थे। जंगली जानवरों के बीच ही खुले पेड़ के नीचे निर्भीक होकर तप किया करते थे। उनकी दिव्य शक्ति और सेवाभाव भक्तिभाव से क्षेत्र के लोग इतने प्रभावित हुए की हर कार्य उनके सहमति से ही किया जाने लगा। बालोद जिला में सनातन धर्म व राम भगवान की गाथा को जन-जन तक व्यापक रूप में लाने में उनका प्रमुख योगदान माना जाता है। लेकिन यह भी अनोखा संयोग है कि संत ने जीवन भर श्री राम को पाने के लिए तप किया। अंत में भगवान श्री राम के जन्म दिन पर ही वे ब्रम्हलीन में विलीन हुए।

संत बालक दास के गुरु हैं राम जानकी दास महात्यागी

संत बालक दास महात्यागी

मठेश्वर श्री राम जानकी दास महात्यागी संत बालक दास महात्यागी के गुरु हैं। संत बालक दास के चंचल और सफेद मन को देखकर मठेश्वर राम जानकी दास ने महात्यागी बालक दास को अपना शिष्य बना लिया। गुरु ने कड़ी साधना करना सिखाया। ध्यान योग के बाद धर्म की शिक्षा देकर सनातन धर्म की रक्षा के लिए तैयार किया। संत राम जानकी दास ने पहले से ही बाबा बालक दास को देख कर यह जान लिया था कि यह कोई आम बालक नहीं है। इसके बाद संत बालक दास ने गुरु के उपदेशों पर अमल करते हुए जगह-जगह भगवा ध्वज फहरा कर लोगों को सनातन और अपने हिन्दू धर्म से जोड़ने का काम किया।

आज बालोद के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे संत बालक दास

गुरुजी के चले जाने से डौंडीलोहारा क्षेत्र व छत्तीसगढ़ के धर्म प्रेमियों को बड़ा झटका लगा है। रामनवमीं के आयोजन में लगे हिन्दू संगठन के सदस्यों में भी भारी निराशा देखी गई। आज संत बालक दास त्यागी विश्व हिंदू परिषद की शोभायात्रा में शामिल होने वाले थे। हजारों की भीड़ उनको सुनना चाह रही थी ऐसे में सुबह ही बुरी खबर आ गई। संत बालक दास रायपुर के लिए रवाना हो चुके हैं। आज वे विहीप के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे।

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