
अपने जड़ों की ओर लौटते छत्तीसगढ़िया युवा
देवेंद्र नेताम बैलगाड़ी से गये ब्याहने अपनी दुल्हन
Nbcindia24/न्यूज़ डेस्क/ छत्तीसगढ़ में बैलगाड़ी को सजा-धजा कर , बैलों के गले में घांघरा बांधकर बारात निकालने की समृद्ध प्राचीन परंपरा रही है । आधुनिकता के मोहपाश में बंधकर आज का छत्तीसगढ़िया युवा अपनी मूल परंपराओं से दूर जाता हुआ दिख रहा है लेकिन छत्तीसगढ़ के कुछ नौजवान आज भी छत्तीसगढ़ियापन को पुनर्स्थापित करने के लिये प्रयासरत दिख रहे हैं । उन्ही में से एक भिलाई के युवक देवेंद्र नेताम हैं जो सात जुलाई को सजी-धजी बैलगाड़ी लेकर अपनी उच्चशिक्षित दुल्हनिया कीर्ति मंडावी से ब्याहने बालोद के आतरगांव पहुंच गये ।
परघनी के समय दुल्हे और बारातियों की बैलगाड़ियां एक मनमोहक दृश्य उपस्थित कर रहीं थी । एक ओर आकाश से पुरखा-देवता बूंदों की हल्की फुहारें छोड़ अपना आशीष बरसा रहे थे तो मिट्टी की भीनी सुगंध के साथ मानों अपने मूल सामाजिक परंपराओं के पुनर्जीवित होने की खुशबू भी एकबारगी चारों ओर बगर रही थी ।
यहां उल्लेखनीय है कि मूलत: बसनी(धमधा) के निवासी दुल्हेराजा देवेंद नेताम एक उच्चशिक्षित व्यवसायी हैं , आदिवासी सर्वसमाज के प्रदेश महासचिव हैं तथा छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी एवं छत्तीसगढ़िया लोगों के हक की पुरजोर आवाज उठाने वाले संगठन छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के प्रदेश आई टी सेल प्रभारी हैं ।
प्रदेश के पढ़े-लिखे युवाओं का अपनी मूल संस्कृति-परंपराओं की ओर वापस लौटकर उन्हें संरक्षित रखने के ऐसे भगीरथ प्रयास सभी के लिये प्रेरणास्रोत बनेंगें ।
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