जीते जी सरकारी रिकॉर्ड में मर गया कालीचरण उर्फ(विपदा)

पीड़ित कालीचरण, धर्मपत्नी मानकुंवर, नाती लखन यादव

Nbcindia24/छत्तीसगढ़। कोरिया जिले के पटना थाने पहुंचे मृतक ने कहा साहब मैं जिंदा हूं । 62 साल पहले मरा आदमी ,अब जिंदा आदमी कालीचरण उर्फ (विपता )लगा रहा कार्यालय के चक्कर ,कोरिया कलेक्टर ,एसडीएम कार्यालय से लगाई न्याय की गुहार ।

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आप को बता दे कि जिन्दा आदमी कालीचरण उर्फ विपता के मृत्यू प्रमाण का मामला सामने आया है पंचायत बुढ़ार के सचिव रामलखन राजवाड़े ने एक जीवित व्यक्ति कालीचरण उर्फ विपता का मृत्यू प्रमाण पत्र दिनांक 14 अक्टूबर 2020 को जारी कर दिया । मामले की जानकारी जब मिली 72 वर्षीय नि: संतान वृद्ध ने जब फर्द बंटवारे के लिए उप तहसील पटना में आवेदन लगाया तो परिवार के लोग ने उस जिंदा व्यक्ति को मृत्यु प्रमाण पत्र पेश करते हुए आपत्ति दर्ज करा दिया । जिंदा आदमी जब अपने ही उपनाम का मृत्यू प्रमाण पत्र देखा तो उसकी आंखे फटी रह गयी। जिंदा आदमी मृत्यू प्रमाण पत्र की छायाप्रति लेकर पहुंचा पटना थाना कहा साहब मैं जिंदा हूं। और मेरे मरने का प्रमाण पत्र बन गया। सबसे मजे की बात तो यह है कि हाल ही में वेब सीरीज की फिल्म कागज अभी आयी है जिसमें जिंदा आदमी अपने जिंदा होने का सबूत प्रशासन को नहीं दे पाता। इसी फिल्म के जैसी कहानी कोरिया जिले में सामने आयी है जहां जिंदा आदमी का मृत्यू प्रमाण पत्र बन गया और अब वह यह बता रहा कि अब मै जिंदा हूं ।

पंचायत से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र

मिली जानकारी के अनुसार पटना थाना के अंतर्गत ग्राम पंचायत बुढ़ार के सचिव रामलखन राजवाड़े ने एक जीवित व्यक्ति कालीचरण उर्फ विपता का मृत्यू प्रमाण पत्र दिनांक 14.10.2020 को जारी कर दिया। मामले का खुलासा तब हुआ जब कालीचरण अपने भूमि के फर्द बंटवारा के लिये तहसील में आवेदन किया और आपत्तिकर्ता ने यह कहकर उसके फर्द बंटवारें में रोक लगा दी कि यह व्यक्ति मृत हो गया है इसके एवज में उसने ग्राम पंचायत बुढ़ार द्वारा जारी किया गया मृत्यू प्रमाण पत्र पेश कर दिया। जिसे देख पिड़ित हैरान रह गया और वह अब वह यह साबित कर रहा है कि वह जिंदा है। उसका फर्द बंटवारा होना चाहिए पर उसके मृत्यू प्रमाण पत्र की बात की जाये तो उसके अनुसार उसकी मृत्यू 16.03.1958 में हो गयी है। और यह पूरी कहानी वेब सिरीज कागज से मिलती-जुलती दिख रही है। जहां जिंदा आदमी अपना ही मृत्यू प्रमाण पत्र लेकर घुम रहा है और यह बता रहा कि मैं जिंदा हूं और मैं इस बीच कई बार विधानसभा, लोकसभा, ग्राम पंचायत, जनपद से लेकर स्थानीय चुनावों में अपना मत भी दे चुका हूं। यहां तक पिड़ित को पटना थाना में आकर यह बताना पड़ा कि साहब मैं जिंदा न जाने कौन मेरा मृत्यू प्रमाण पत्र बना दिया। अब कागज में मैं मर चुका हूं, प्रशासनिक अधिकारी मुझे मरा समझकर फर्द बंटवारा में अड़चन पैदा कर रहे हे। जिंदा आदमी के आने के बावजुद तहसील ने उसे जिंदा नहीं माना उसके मृत्यू प्रमाण पत्र को ही मान रहा है जिसके आधार पर तहसील ने पुष्टि होने तक फर्द बंटवारा में रोक लगा दी है।

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