बीजापुर @ सलवा जुडूम के प्रादुर्भाव के बाद से जिस कोंडापल्ली गांव को नक्सलियों ने कब्जे में कर रखा था, करीब दो दशक बाद सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के इस अभेद किले को भेदते डेरा जमा लिया है।फोर्स की तैनाती के साथ ही नक्सलियों के खिलाफ अभियान भी तेज कर दिया गया है।गुरुवार को जवानों ने माओवादियों के स्मारक को ढहाने जेसीबी लेकर पहुंचे थे।
बीते 11 महीने में बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन तेज है। ना सिर्फ माओवाद संगठन को बड़ा नुकसान जवानों ने पहुंचाया है बल्कि अबूझमाड़ से लेकर सुकमा_बीजापुर के सरहदी इलाके में नक्सलियों को पीछे धकेलने में कामयाबी हाथ लगी है।बस्तर में अबूझमाड़ के अलावा बीजापुर और सुकमा का सरहदी इलाका ही नक्सलियों का थोड़ा बहुत सुरक्षित ठिकाना है।
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और तेलंगाना से नक्सली पहले ही खदेड़े जा चुके है, वहां उनका प्रभाव खात्मे की ओर है, छत्तीसगढ़ में बस्तर कल तक नक्सलियों का कोर इलाका था , लेकिन नक्सलियों के खिलाफ बीते 11 महीने में आपरेशन और कोर इलाको में नए कैंपों की स्थापना ने नक्सल संगठन की कमर तोड़ कर रख दी है.पहले कुख्यात माओवादी हिड़मा के गांव पूर्वर्ती , तेकुलगुडम, गुंडम, छुटवाई, कावड़गांव, मुटवेंदी, पालनार के बाद अब कोंडापल्ली में जवानों की पैठ से कोर इलाके नक्सली लगभग घिर चुके है, निश्चित ही बस्तर चार दशक से पैठ जमाए नक्सल संगठन की नींव अब हिल चुकी है।
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