छत्तीसगढ़/ बस्तर इस बार गणेश चतुर्थी पर बड़ी संख्या में लोगों ने समुद्रतल से करीब 3500 फीट की ऊंचाई पर ढोलकल शिखर पर विराजे भगवान गणेशजी के दर्शन किए। खराब मौसम के बावजूद लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ। राज्य के अन्य हिस्सों और दूसरे राज्यों से भी लोग ढोलकल यात्रा करने पहुंचे थे।
दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला पर्वत श्रृंखला के एक हिस्से में फरसपाल-केशापुर गांव के नजदीक ढोलकल शिखर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए दंतेवाड़ा से 13 किमी दूर फरसपाल के कोटवारपारा के आगे पैदल ही पहाड़ी रास्ते पर करीब 4-5 किमी पैदल चलना पड़ता है। यह यात्रा काफी कष्टसाध्य होने के बावजूद रोमांचक होती है। जैसे ही यात्रा पूरी कर शिखर पर विराजे गणेशजी के दर्शन होते हैं, वहां का विहंगम नजारा देखकर सारी थकान छू-मंतर हो जाती है। शिखर पर स्थापित ढाई फीट ऊंची गणेशजी के उदर पर नागवंशी शासकों के प्रतीक नाग का अंकन हुआ है। इसकी स्थापना छिंदक नागवंशी राजाओं ने की थी। ललितासन मुद्रा वाली यह प्रतिमा जिस पहाड़ी चट्टान को काटकर स्थापित की गई थी, उस जगह को ढोल कल यानी ढोल वाले चट्टान के नाम जाना जाता है।प्रचलित किवदंती के अनुसार भगवान गणेश और परशुराम का युद्ध इसी पहाड़ी पर हुआ था। युद्ध के दौरान भगवान गणेश का एक दांत यहां टूट गया। ऐसी मान्यता है कि परशुरामजी के फरसे से गणेशजी का दांत टूटा था।
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