पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम का आरोप जिले के ताड़मेटला- दुलेड के जंगलों हुई मुठभेड़ फर्जी

पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम का आरोप जिले के ताड़मेटला- दुलेड के जंगलों हुई मुठभेड़ फर्जी ,मनीष कुंजमा ने मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियो को बताया ग्रामीण न्यायिक जांच की मांग

सुकमा से धर्मेन्द्र सिंह की रिपोर्ट / सुकमा के पूर्व विधायक और आदिवासी महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने मंगलवार को पुलिस ने जिले के ताड़मेटला- दुलेड के जंगलों के बीच दो नक्सलियों सोढ़ी देवा और रवा देवा को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया था जिसके बाद गुरुवार को पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने मुठभेड़ को फर्जी मुठभेड़ बताते हुए घटना की निंदा करते हुए मांग किया है कि इस घटना की जांच कर दोषियों पर कार्यवाही किया जाये।

पूर्व विधायक ने प्रेसवार्ता कर करते हुए कहा कि उन्होंने मंगलवार 5 सितंबर को ग्राम ताड़मेटला में कथित मुठभेड़ की घटना को धैर्य के साथ तमाम पहलुओं का विश्लेषण किये। उन्होंने कहा कि सहयोग से मेरा इसी दिन ग्राम एलमागुंडा में प्रोग्राम था, दिन में 10:30 बजे करीब चिंतागुफा गांव पहुंच गया था, तब ही सुकमा एसपी किरण चव्हाण का फोन आया कि ताड़मेटला में मुठभेड़ चल रहा है, आपका एलमागुंडा जाना उचित नहीं रहेगा, ऐसा कहने पर मैंने अपना कार्यक्रम स्थगित किया। वहीं उपस्थित गांव के साथियों के साथ इस घटना पर चर्चा शुरू किये, कहने लगे की मुठभेड़ यदि रात से चल रहा है तो आवाज सुनाई क्यों नहीं दिया? फिर पुलिस अधीक्षक का इस टाइम में भी मुठभेड़  जारी है कहना और संदेह को गहरा करता है। चिंतागुफा से ताड़मेटला की दूरी 7- 8 किलोमीटर होगा। इतनी दूरी से आवाज तो आता ही।

पूर्व विधायक ने कहा कि वापसी के दौरान पुसवाडा के पास पहुंचे तभी ताड़मेटला के पढ़े-लिखे एक लड़के का फोन आया कि आप मिनपा , एलमागुंडा  कितना समय पहुंच रहे हैं? मैंने कहा कि कार्यक्रम स्थगित करके वापस जा रहा हूं इसका कारण बताया। फोन में ही वो लड़के बताने लगे कि यहां ऐसा कोई घटना नहीं हुई है, हम लोग तो यही है, वे आश्चर्य में थे।जिसके बाद मंगलवार 5 सितंबर को रात 8-9 बजे फोन से बताया गया कि दो लड़के तिम्मापुरम अपने सगे संबंधी से मिलने गये थे, वापसी के दौरान उनको फोर्स ने वहीं कहीं पकड़ा होगा और मार डाला। उनके नाम सोडी कोसा व रवा देवा के रूप में सामने आया और पुलिस ने दोनों के नाम देवा- देवा बताया है। बता दूं कि यह दोनों लड़के तिम्मापुरम गये थे, रवा देवा के जीजा इनको मोटरसाइकिल देकर भेजा कि हमारे लिए मछली बीज ला देना। वहां से आ रहे थे कि बीच में कहीं पकड़ करके मार डाला गया और इसे मुठभेड़ बताया गया। रवा देवा का गांव में एक छोटा सा दुकान है, और साप्ताहिक बाजार में दुकान भी लगाता था, ऐसी जानकारी मिल रही है और दोनों मृतकों के आधार कार्ड भी हैं, इसका साफ मतलब है कि ये दोनों नक्सली नहीं थे। पुलिस दोनों को एक-एक लाख का इनामी बताया है। मुठभेड़ में मार गिराने वालो के हिसाब से यह रकम बहुत कम है । यानी मामला स्पष्ट रूप से फर्जी दिखता है। परिजन और ग्रामीणों का कहना है कि मार क्यों डालें, पकड़े थे तो जेल में ही डाल देते, कम से कम जीवित तो रहते। मनीष कुंजाम ने मिडिया से कहा कि पुलिस व फोर्स कहती है कि हम लोगों का विश्वास जीतना चाहते हैं, और इस तरह की घटना बताती है कि ये दावा सच्चाई से कोसो दूर है। भूपेश व लखमा के राज में पुलिस व फोर्स की इस निर्दयतापूर्ण घटना को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी व आदिवासी महासभा कडी निंदा करती है और मांग करते हैं कि इस घटना की जांच कर दोषियों पर कार्यवाही किया जाये।

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