आदिवासी वेशभूषा में ये है छत्तीसगढ़ की आदि रानी, पढ़े पूरी कहानी

Nbcindia24/ फैशन कंपटीशन में आज कल कई रूप देखने को मिलता है. कई तो ऐसे हैं जो अपने अंग प्रदर्शन को ही फैशन समझते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी बेटी के बारे में बताने जा रहे. जो अपनी संस्कृति और कल्चर को फैशन बना छत्तीसगढ़ ट्राईबल क्वीन की तमगा हासिल की है

सिर पर कलगी कमर में करधन और गले में सुता के साथ रुपयों की माला पहने यह बेटी छत्तीसगढ़ बालोद जिला की रहने वाली है. जो 15 अक्टूबर को राजधानी रायपुर में आयोजित ट्राईबल क्विन कंपटीशन में पार्टिसिपेट कर बेस्ट इंट्रोडक्शन ट्राईबल कल्चर खिताब जीत फैशन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ आदि (आदिवासी) रानी की तमगा हासिल की. जो अल्फी साड़ी के साथ आदिवासियों की वेशभूषा को धारण कर औरों को भी अपने संस्कृति और परिधान के प्रति प्रेरित कर रही. जिसे देखते हुए बालोद जिला के राजा राव पठार में आयोजित विराट वीर मेला में सर्व आदिवासी समाज द्वारा प्रतिभा सम्मान से सम्मानित की गई।

आयोजित विराट वीर मेला में सर्व आदिवासी समाज द्वारा प्रतिभा सम्मान से सम्मानित करते

 

पार्वती गोड़वाना स्टूडेंट यूनियन की बालोद जिला कोषाध्यक्ष है. जिनसे जुड़कर समाज के रीति रिवाज और कल्चर को देख प्रभावित हुई और इसी को अपना आइकॉन बना ली. करती है कि कोई भी अपने जाती रीति-रिवाज और संस्कार को ना भूले बल्कि उसे सहेज कर रखें. पार्वती 22 दिसंबर को उड़ीसा और दिल्ली में आयोजित होने वाली फैशन फेस्टिवल के लिए भी चयनित हुई हैं. जिसकी तैयारी में जुटी हुई है।

 

पर्वती आदिवासियों की वेशभूषा शरीर में तिरनदारी(गोधना), सिर में मोर पंख की कलगी, गले मे चांदी की सुता, रुपये और कौड़ी की माला, कान में बाली, नाक में नथनी और हाथ मे पहुँची, ऐठी, पट्टा चूड़ी, उंगलियों में मुंदरी, कमर में करधन के साथ बांस से बने बैग, हाथों में तीर कमान लिए फैशन फेस्टिवल में पार्टिसिपेट कर छत्तीसगढ़ की आदि रानी बन गई।

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