राज्यपाल ने जनजाति समाज के सामने छत्तीसगढ़ सरकार को कटघरे में किए खड़े, तो अन्य समाज को सोचने पर किया मजबूर, देखें बयान की video

Nbcindia24/ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विधानसभा में विशेष सत्र बुला विधेयक में 76% आरक्षण पास कर राज्यपाल को हस्ताक्षर के लिए भेजे जाने को लेकर राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने बड़ी बात करते हुए राज्य सरकार को जनजाति समाज के सामने कटघरे में खड़ा कर दिया है।

दरअसल छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उईके बालोद जिला के राजा राव पठार आयोजित विराट वीर मेला के समापन एवं शहीद वीर नारायण सिंह के प्रतिमा का अनावरण व शहादत दिवस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुँची थी जहाँ आरक्षण के मुद्दे को लेकर हजारों की तादाद में मौजूद जनजाति व अन्य समाज के समुख मंच से अपनी बात रख राज्य के भूपेश सरकार द्वारा विधानसभा के विशेष सत्र में पास किए गए 76% आरक्षण बिल पर सवाल खड़े कर दिए।

देखें राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके की बयान 🖕

राज्यपाल ने कही मैंने मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा ये सारी चीजे आपके पास रखना जरूरी है इस समय आपको बहुत चिंता सता रही होगी कि क्या होगा हमारे बच्चों के भविष्य का विधेयक तो पास हो गया क्योंकि जब भी कोई विधेयक विधानसभा में पास होता है तो राज्यपाल के पास आता है और जबतक राज्यपाल हस्ताक्षर नही करती है तब तक वो काननू का रूप नही लेता है।

मैं जानकारी के तौर पर आपको बताना चाहती हूं की हाईकोर्ट द्वारा 58% आरक्षण को असंवैधानिक बतलाने के बाद जनजाति समाज का आरक्षण 32% से घटकर 20% हो गया है जिसके चलते जनजाति समाज आक्रोशित होकर अपने अधिकार के लिए सड़कों पर उतर आए थे ऐसे में कानून व्यवस्था बनाए रखने 03/11/2022 को मैंने मुख्यमंत्री जी को पत्र लिख केवल जनजाति समाज का आरक्षण 20% हो गया था उसे स्पेशल विधानसभा में विशेष विधेयक ला बढ़ाकर 32% करने को कहा था मुझे नहीं मालूम था जब मैं सत्र की कार्यवाही ओके कर दिया बाद में मुझे कार्य की सूची आई तो उसमें और भी अन्य लोगों का कार्य संसोधन कर लिया गया जिसमें ओबीसी को 27%, एससी को 13% और आर्थिक आधार पर थे उनको 03% कर दिया गया ऐसे में 58% को असंवैधानिक कर दिया गया हो और मेरे सामने ये परिस्थिति आई कि 76% का मामला फिर उलझ जाएगा।

केवल जनजाति समाज को करना था लाना ही था तो ओबीसी, एससी और जनरल का अलग से प्रस्ताव करके लाना था ताकि हमारा जनजाति समाज का उलझन में ना पड़े इसीलिए मैंने सोचा केवल जनजाति समाज का संसोधन हो जाता तो मैं उसी दिन हस्ताक्षर कर देती।

आपको मैने नही कहा था की और भी समाज के संसोधन को जब ये मेरे लिए प्रश्न का विषय बन गया तो मैंने सरकार को कहा आप बताइये जब कल को दूसरे दिन कोट में जायेगा तो 58% आटोमेटिक निरस्त कर दिया तब उसका समस्या का समाधान नही किया अब 76% कैसे करेंगे आप तकनीकी तौर पर मुझे तमाम सारी जानकारी दीजिए आज अगर मैं हस्ताक्षर कर देती हूं कल को कोट में चले गए तो जैसे का तैसे हो जाएगा।

राज्यपाल ने कही जब तक मैं सरकार से पूरी तरह संतुष्ट ना हो जाओ विचार मंथन करती रहूंगी विश्वास रखिए मैं किसी के साथ अहित होने नहीं दूंगी।

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