हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आजादी की लड़ाई के महानायक गुंडाधुर और डेब्रिधुर को दी गई श्रद्धाजंलि

 

राजेन्द्र बाजपेयी जगदलपुर/ ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सन 1910 में बस्तरवासियों ने की थी बगावत जिसे भूमकाल के नाम से जाना गया ।

इस आजादी की लड़ाई के महानायक नेतानार गाँव के गुंडाधुर थे जिन्हें अंग्रेज सरकार ने गोलबाजार जिसे तब गेयर बाजार कहते थे वहां सरेआम इमली के पेड़ के नीचे गुंडाधुर के साथ डेब्रिधुर को फांसी दी गई थी ताकि लोगों में बगावत करने पर भय का वातावरण बने ।

हर साल 10 फरवरी को जगदलपुर के गोल बाजार में एक इमली के पेड़ के नीचे अमर शहीद गुंडाधुर और डेब्रिधुर को आदिवासी समाज के साथ बस्तर में निवासरत अन्य सभी समाज के लोग अपनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हैं ।

गुंडाधुर के गांव नेतानार में भूमकाल दिवस मनाया गया जिसका आज 22 फरवरी 22 को समापन अवसर पर लोगों ने नाचते गाते स्थानीय बाजा मोहरी की धुन पर शहीदों को नमन करते हुए श्रद्धाजंलि दी।

बस्तर के लोगों का मानना है कि देश की आजादी के लिए प्राण निछावर करने वाले कभी मरते नहीं । इसलिए उनके शहीदी दिवस पर दुख नहीं करना चाहिए। क्योंकि ” हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है , बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा “।

Nbcindia24

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