एक गांव ऐसा जहाँ कंकर कंकर में शंकर

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Nbcindia24/mp उमेश उमरिया की रिपोर्ट- प्रदेश के खरगोन जिले में नर्मदा नदी के किनारे बसा एक छोटा-सा गांव बकावां ‘कंकर’ से शंकर बनाने की अनूठी शिव साधना में जुटा है। आठ साल में सवा करोड़ शिवलिंग बनाने का लक्ष्य, सो यहां प्रतिमाह करीब एक लाख शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। अब तक 12 लाख शिवलिंग बनाए जा चुके हैं। ये शिवलिंग आंध्र प्रदेश के गुंटूर में एक संस्थान के लिए बनाए जा रहे हैं। संस्थान इन शिवलिंगों को वहां बनने वाले मंदिर में स्थापित करेगा।

तैयार किए गए शिवलिंग

जिला मुख्यालय से करीब 65 किमी दूर बकावा में देश ही नहीं विदेशों तक के लिए शिवलिंग तैयार किए जाते हैं। मान्यता है कि नर्मदा नदी से निकलने वाला हर कंकर (पत्थर) शंकर का रूप होता है।

यहां से निकलने वाले इन्हीं पत्थरों को तराशकर शिवलिंग बनाए जाते हैं जिन्हें नर्मदेश्वर शिवलिंग कहते हैं। बिना प्राण प्रतिष्ठा इनकी स्थापना की जा सकती है। एक वर्ष पहले आंध्र प्रदेश की संस्था कोटिलिंगला महाकालेश्वर महाकालिका आध्यात्मिक सेवा संस्थान ने बकावां के शिल्पकार दीपक नामदेव से संपर्क किया और उन्हें एक इंच आकार के सवा करोड़ शिवलिंग बनाने के लिए कहा। संस्थान से जुड़े लक्ष्मीनारायण ने बताया कि आंध्र प्रदेश के गुंटुर जिले के वेमवरम गांव में भव्य मंदिर बनाने की योजना है। इसी मंदिर में ही सवा करोड़ शिवलिंग की स्थापना की जाएगी। संस्थान ने इसके लिए ही बकावां के शिल्पकारों को आर्डर दिया है। संस्थान ने 2020 में जब सवा करोड़ शिवलिंग बनाने के लिए संपर्क किया तो अनुमान लगाया कि इसमें कम से कम आठ साल का समय लगेगा। अभी प्रतिमाह एक इंच के आकार के करीब एक लाख शिवलिंग बनाए जा रहे हैं। इस कार्य में उनके स्वजन सहित 50 शिल्पकार जुटे हैं।

लक्ष्य समय पर पूरा करने के लिए शिल्पकारों की संख्या बढ़ाने की तैयारी है। एक शिवलिंग बनाने की लागत करीब पांच रुपए आ रही है। अब तक 12 लाख शिवलिंग बनाए जा चुके हैं। इन्हें तैयार होते ही आंध्र के संस्थान को भेज दिया जाता है। अब तक तैयार सभी शिवलिंग भेजे जा चुके हैं।

शुभम कर्मा शिवलिंग तैयार करने वाले युवा

प्राकृतिक रूप से बनती है आकृति-

नर्मदा नदी से निकलने वाले कंकर के इन शंकर में कई खूबियां हैं इन शिवलिंग को देखने पर इनमें प्राकृतिक ओम, स्वस्तिक, नाग, गणेश, शिव का अर्धनारीश्वर रूप, मस्तक पर तिलक आदि आकृति दिखाई देती है। शिवलिंग लेने के लिए यहां देशभर से श्रद्धालु आते हैं। पिछले कुछ वर्ष से शिवलिंग ऑनलाइन भी भेजे जा रहे हैं। शिवरात्रि और सावन माह के पहले इनकी मांग बढ़ जाती है। इन अवसरों पर प्रतिमाह 500 से अधिक शिवलिंग आनलाइन भेजे जाते हैं। अब तो विदेश से भी आर्डर मिलने लगे हैं। यहां पांच रुपये से लेकर 15 लाख रुपये तक के शिवलिंग बनाए जाते हैं।

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