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धर्मेंद्र यादव धमतरी @ जिले के अंतिम छोर पर स्थित दुधावा बांध के बीचों-बीच शिव जी का एक अनोखा मंदिर है जो लगभग छठवीं शताब्दी का बताया जाता है।दुधावा बांध के अंदर स्थित इस मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन भक्तों की भीड़ उमड़ती है।मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता हमेशा लगा रहता है।बता दें ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की मनोकामना महादेव पूरा करते हैं,लेकिन इस मंदिर का पुरातात्विक महत्व भी काफी दिलचस्प है।

दुधावा बांध के बीच में है यह शिव मंदिर,यह छठवीं शताब्दी का शिव मंदिर छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर नगरी ब्लॉक में भुरसी डोंगरी पंचायत के आश्रित देवखूंट गांव के पास दुधावा बांध के बीचों-बीच देउर मंदिर है। यह मंदिर पांच सालों में एक बार खुलता है. इस मंदिर का निर्माण छठवीं शताब्दी में तत्कालीन राजा व्याघ्र राज ने करवाया था,तब इस स्थान पर बांध नहीं बना हुआ था,जानकारी के अनुसार पश्चिम काल में उस वक्त यह स्थान देवखूंट गांव में स्थित था और कहा जाता है यहां पर करीब 5 नदियों का संगम था, जिसमें महानदी, सीतानदी, कुकरैल नदी, बालगंगा और गॉवत्स नदी शामिल है। कुछ सालों बाद कांकेर रियासत के राजा ने इस क्षेत्र को अपनी रियासत में मिला लिया उसके बाद इस क्षेत्र का विकास होना शुरू हुआ।

दुधावा बांध के बीच में स्थित शिव मंदिर बांध बन जाने के कारण डूब गया था जिसके बाद देवखूंट गांव को सीतानदी के किनारे फिर पुनः बसाया गया था,मंदिर के अंदर स्वयंभू शिवलिंग आज भी मौजूद है. शिवलिंग के अलावा अन्य देवताओं की मूर्तियां भी मौजूद थी, जिन्हें ग्रामीणों ने नए देवखूंट में मंदिर बना कर स्थापित कर दिया है लेकिन शिवलिंग के स्वयंभू रूप होने के कारण उसे वहीं रहने दिया गया है।

शिव जी की पूजापुरातत्व विभाग ने की थी प्राचीन मूर्तियों को ले जाने की कोशिश

2002 में जब बांध पूरी तरह से खाली हुआ तब दुनिया के सामने ये मंदिर आया. उस समय पुरातत्व विभाग ने प्राचीन मूर्तियों को ले जाने की पहल की थी लेकिन तब 34 गांव के लोगों ने इसका विरोध कर दिया था उस समय जनभावना को देखते हुए पुरातत्व विभाग पीछे हट गए थे ।इस तरह से ये देश के प्राचीनतम शिव मंदिरों में से एक कहा जा सकता है।

शिवलिंग का स्वयंभू रूप

बांध पर पानी का स्तर कम हो जाने पर शिव जी का दर्शन प्राप्त हो पता है,दर्शन करने भक्ति को यहां तक जाने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ता है।शिवरात्रि में यहां क्षेत्रवासी बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुंचते हैं। इस मंदिर को आज तक लोगों की आस्था ने बचा कर रखा है।अगर सरकार ध्यान दें तो दुनिया के सामने इस पुरातात्विक संपदा को बेहतर ढंग से प्रस्तुत और संरक्षित किया जा सकता है.।

Nbcindia24

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