प्रबंधन (डिजिटल मार्केटिंग) में शोध से डॉ. कंचन ठाकुर ने हासिल की पीएचडी की उपाधि, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर चमकाया नाम

गरियाबंद @ गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर की शोध छात्रा डॉ. कंचन ठाकुर ने सफलतापूर्वक अपनी पीएचडी पूरी कर ली है। उनके शोध “छत्तीसगढ़ के छोटे उद्योगों में डिजिटल मार्केटिंग की भूमिका का अध्ययन” ने अकादमिक और औद्योगिक जगत में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है।

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बॉबी बी. पांडे के कुशल मार्गदर्शन में, डॉ. कंचन ठाकुर ने छत्तीसगढ़ क्षेत्र में छोटे उद्योगों पर डिजिटल मार्केटिंग रणनीतियों के प्रभाव का गहन अध्ययन किया। उनके शोध से नीति निर्धारकों, उद्योग जगत के नेताओं और उद्यमियों को डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी मिली है।अपनी पीएचडी के दौरान, डॉ. कंचन ठाकुर ने अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सम्मेलनों एवं संगोष्ठियों में भाग लेकर कई प्रमाण पत्र प्राप्त किए हैं। उन्होंने यूजीसी केयर सूचीबद्ध और स्कोपस-सूचीबद्ध पत्रिकाओं में शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। उनके अकादमिक योगदान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (दक्षिण अफ्रीका), जी20 संगोष्ठी (गांधीनगर), इसरो सम्मेलन (जोधपुर), और भारतीय समाज विज्ञान राष्ट्रीय कांग्रेस (विदिशा) में प्रस्तुत किए गए पेपर शामिल हैं।

डॉ. कंचन ठाकुर का शोध छोटे व्यवसायों द्वारा डिजिटल मार्केटिंग के अपनाने में आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डालता है। उनके निष्कर्ष डिजिटल साक्षरता, प्रभावी ऑनलाइन उपस्थिति, और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के महत्व को रेखांकित करते हैं।अपनी इस उपलब्धि पर डॉ. कंचन ठाकुर ने अपने मार्गदर्शक प्रोफेसर डॉ. बॉबी बी. पांडे और गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह उपलब्धि सहयोगी प्रयासों और पूरे पीएचडी सफर में मिले प्रोत्साहन का परिणाम है। मुझे उम्मीद है कि मेरा शोध छत्तीसगढ़ के छोटे उद्योगों के आर्थिक विकास में योगदान देगा।

परिवार के सदस्य और मित्र डॉ. कंचन ठाकुर को उनकी इस अद्भुत उपलब्धि पर बधाई देते हैं। डॉ. कंचन ठाकुर के इस उपलब्धि को प्रतीक सिंह ठाकुर , खिलावन सिंह ठाकुर (ससुर), राहुल सिंह ठाकुर (देवर) और दीनबंधु सिंह ठाकुर, अशोक कुमार सिंह ठाकुर, जौन्दा ने इसे अपने परिवार को गौरवांवित कराने वाली उपलब्धि बताया, वही डॉ. कंचन के पिता हीरा सिंह ठाकुर, सेवा निवृत वन अधिकारी जंगल सफारी ने भी इस उपलब्धि को अपने परिवार के लिए एक उपलब्धि बताया है ।

डॉ. कंचन ठाकुर वर्तमान में कलिंगा विश्वविद्यालय, रायपुर में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। विश्वविद्यालय समुदाय भी डॉ. कंचन ठाकुर को उनकी इस अद्भुत उपलब्धि पर बधाई देता है। उनकी मेहनत और समर्पण साथी छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा हैं। जब वह अपने करियर के अगले अध्याय में कदम रखेंगी, तो उनके शोध का प्रभाव निश्चित रूप से अकादमिक और औद्योगिक जगत में गूंजेगा।

Nbcindia24

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