व्रती आपसी चंदा एकत्र कर घाट में करते है सजावट आदिवासी भी होते है पूजा में शामिल
धर्मेन्द्र सिंह सुकमा @ ऐसे तो पूरे विश्व मे उतर पूरे विश्व मे छठ पूजा महापर्व मनाते है लेकि नक्सल प्रभावित सुकमा में आदिवासी बाहुल्य इलाकों में छठ पूजा में यहां व्रती आपस मे चंदा एकत्र कर घाटो की सजावट करते है वही इसमें आदिवासी समाज के लोगो भी भारी तादाद में शामिल होते है आज छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है देशभर के लोग विधि विधान से पूजा करने के लिए तैयारियों में जुट गए हैं। छठ पूजा में तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। आज शाम को व्रती महिलाएं-पुरुष विशेष मंत्रों का जाप करते हुए डूबते सूर्य को अर्घ्य दिए। वही चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है ।
तीसरे दिन संध्या का अर्घ्य समय
पंडित नित्यन्द मिश्रा के ने बताया छठ पूजा पर दो दिन सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है यानि शाम को डूबते सूर्य को तो वहीं दूसरे दिन अल्प सुबह उगते सूर्य को छठ पूजा का अर्घ्य दिया जाता है। हिंदू कलेंडर के अनुसार, आज सूर्यास्त होने का समय 5 बजकर 32 मिनट ठीक सूर्यास्त के समय सूर्य देव को जल अर्पित किया गया लेकिन देशभर के दूसरे शहरों में सूर्यास्त के समय में थोड़ा बहुत बदलाव देखने को मिल सकता है ।वहीं कल 8 नवंबर को सुबह 6 बजकर 32 पर सूर्योदय होने का समय निश्चित किया है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर ही व्रती महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सही समय 6 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
कैसे दें सूर्य देव अर्घ्य
धार्मिक काथाओं के अनुसार छठ पूजा प्रमुख रूप से नदी और तालाबों के घाट पर की जाती है। इस दिन व्रती निर्जला व्रत करके शाम के वक्त सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। पूजा के लिए बांस की टोकरी या फिर सूप में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना और अन्य सामग्री पूजा के लिए रखें। इसके साथ ही महिलाएं लोक गीतों गायन कर सकती हैं और हो सके तो पूजा में विशेष मंत्रों का उच्चारण भी करना चाहिए इसके साथ व्रती महिलाएं जल में खड़े होकर सूर्य भगवान को प्रसाद अर्पित करें और डूबते सूर्य को अर्घ्य दें। ऐसा करने से छठी मईया खुश होती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
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