एक ऐसा ऐतिहासिक गणेश मंदिर जहां प्रसाद खाने पहुंचते हैं भालू, भालुओं को माना जाता है जामवंत का स्वरूप

धर्मेंद्र यादव धमतरी @ शारदीय नवरात्र का महापर्व चल रहा है और सभी मंदिरों में श्रद्धालु अपनी आस्था को लेकर माता के दर्शन करने मंदिर पहुंचते हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ऐसा मंदिर है जहां भालू भगवान के दर पर दर्शन और प्रसाद खाने पहुंचते है .

हम बात कर रहे हैं धमतरी जिले के मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम गढ़ डोंगरी की.जी हां बता दें ग्राम गढ़ डोंगरी पर सप्त ऋषियों में से एक ऋषि – गर्ग ऋषि ने इस ग्राम के पर्वत पर अपनी समाधि ली थी.इस पर्वत के नीचे ही स्थित है स्वयं भू गणेश मंदिर और ग्रामीणों का कहना है कि गणेश जी की मूर्ति स्वयं ही उद्गम हुई थी..यह मंदिर करीब 16 वी शताब्दी से यह स्थापित है.नवरात्र पर इस गणेश मंदिर में 9 दिन का अखंड ज्योत प्रज्वलित की जाती है और मंदिर के प्रांगण में दूर दूर से लोग भगवान के दर्शन करने पहुंच रहे हैं तो वही एक तरफ श्रद्धालु भगवान के सेवा में गीत गाते हुए नजर आ रहे थे और साथ ही साथ एक तरफ भालू प्रसाद खाते हुए नजर आए.

श्रद्धालुओं का कहना है इस मंदिर पर आए भालुओं को जामवंत के रूप में पूजा जाता है और लगभग 3 से 4 भालू इस मंदिर में भगवान का दर्शन करने हर वर्ष नवरात्रि में पहुंचते है लेकिन अभी तक भालुओं से कभी किसी श्रद्धालुओ को हानि नही हुई है.भालू मंदिर पर हर रोज शाम की आरती के वक्त पहुंच जाते हैं और जिसके बाद वे प्रसाद खाकर जंगल की ओर चले जाते हैं.बहरहाल सुरक्षा को लेकर मंदिर परिसर पर वन विभाग के द्वारा वनरक्षक की तैनाती भी की है।

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