जिससे मृत्यु ही मर जाए वह हैं, कृष्ण”, कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर विशेष 

कृष्णजन्माष्टमी के शुभ अवसर पर तुलसी मानस प्रतिष्ठान के प्रांतीय सदस्य, कवि जितेंद्र पटेल मरारटोला ने बताया क़ी कृष्ण जन्म के संदर्भ में आचार्य रजनीश कहते हैं कि श्री कृष्ण के जन्म और साधारण मनुष्य के जन्म में बहुतेरे अंतर नहीं हैं।पर जो अंतर दिखता हैं वह बहुत गहरा हैं। पहली स्थिति- कृष्ण का जन्म आमावस्या क़ी काली अँधेरी रात में हुई, जैसे सब क़ी होती हैं गहरी अंधियारी में, यहाँ समझने वाली बात ये हैं क़ी जन्म क़ी घटना गहरी अँधेरी में घटने वाली घटना हैं। एक बीज में जीवन फूटता हैं भूमि क़ी गहराइयों में,अंधेरे में। संसार के प्राणियों का जन्म भी गर्भ के अंधकार मे घटता हैँ ।असल में जन्म क़ी प्रक्रिया में इतने रहस्य  हैं क़ी तुम्हारे जीवन में अगर समाधि का जन्म हो तो वो भी गहराई में ही हो सकता हैं। जहाँ बुद्धि रूपी प्रकाश न हो।पहली स्थिति सामान्य हैं जो हर प्राणी के जन्म के समय होती हैं। दूसरी स्थिति कारागार में जन्म का होना हैं। इस बात में गौर करें कि किसका जन्म कारागार में नहीं हुआ हैं, ये दुनिया एक कारागार हैं। अर्थात जन्म तो हर किसी का कारागार में होता हैं,पर मृत्यु नहीं!किसी किसी क़ी मृत्यु मुक्ति से होती हैं। हमारे और कृष्ण में एक विशेष अंतर हैं। हम जन्म के बाद रोज रोज मरते हैं, इसे ही जीवन कि यात्रा कहते हैं जबकि ये जीवन क़ी नहीं मृत्यु क़ी यात्रा हैं।

जितेंद्र पटेल (कवि )

लेकिन कृष्ण के साथ अलग-अलग घटना घटती हैं। जो भी उन्हें मारने के लिए आता हैं वो ही मर जाता हैं। अर्थात मृत्यु ही मर जाता हैं ।आशय यह हैं कि हमें कृष्ण के उस जीवन का बोध नहीं जिसमें मौत तो आती हैं पर हार कर लौट जाती हैं। हमने अब तक कृष्ण के जन्म और जीवन को चित्रात्मक रूप से विचार किया हैं,पुराने तरीके से,इसमें कोई बदलाव नहीं किया। हमें कृष्ण को विचारात्मक होकर देखना होगा। जिससे श्री कृष्ण का महाजन्मोत्सव मनाया जा सकें।

आध्यात्मिक दर्शन से संकलित
      जितेंद्र पटेल (कवि )
      मरारटोला -मोहला

Nbcindia24

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