लापरवाही : डैम के अंदर मरी हुई मछलियों को बोरी में भर कर डुबोने की वज़ह से बाँध के पानी से ही गन्दी बदबू आना सुरु,बीमारियों को दे रहे न्यौता
धर्मेंद्र यादव धमतरी / जमीन में घोसला बनाने वाले दुर्लभ प्रजाति के प्रवासी पक्षी,केंटीश प्लोवर जो कि मध्य भारत मे नागपुर के अलावा फुटहामुड़ा वेटलैण्ड में 2017 से 50 से ऊपर संख्या जमीन में घोसला बनाती थी,जो कि धीरे धीरे कम हो गया है।
इसके अलावा ओरिएंटल प्रेन्टिनकोल,लिटिल रिंग प्लोवर,ब्लैक विंग स्टिल्ट, इंडियन कर्सर,लाल चोंच टिटहरी, पिला चोच टिटहरी, लार्क, पैडी फील्ड पिपिट, पेंटेड सेंडग्रास, ग्रे फ्रेंकोलीन, जंगल बुश क्वेल, बार बटन क्वेल और भी कई दुर्लभ प्रजातियों के घोशला बनाने की जगह है,मुख्यतः स्माल प्रेन्टिनकोल जो कि 200 से ऊपर घोशला बनाती है जो केज फिशिंग की वजह से बच नही पा रहे है,जो कि केज मछली पालन की वजह से बर्बादी के कगार में है।
डैम के अंदर मरी हुई मछलियों को बोरी में भर कर बड़ा बड़ा बोल्डर डाल कर गंगरेल डैम के पानी में जगह जगह सैकड़ों बोरी मछलियों को डुबोया जा रहा है जिसकी वज़ह से बाँध के पानी से बहूत ही गन्दी बदबू आना सुरु हो गया है,और उस जगह में नहाने से शरीर मे खुजली होना चालू हो गया है।
पानी कम होने के कारण सभी बोरिया बाहर दिखना शुरु हो गया हैं।केज फ़िसिंग के कारण इस जगह का पूरा जियोग्राफी पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा है, भविष्य में यहां पर आकर घोसले बना कर रहने वाले दुर्लभ प्रवासी पक्षी पूरी तरह से इस जगह से विलुप्त हो जायेंगे इसके साथ ही यहाँ पर रहने वाले स्थानीय प्रजातियां भी बहुत तेजी से समाप्त हो रही हैं।
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