
जल ही जीवन है- जलसंग्रहण की दिशा में बार्डर पर बसा डुमरघुंचा गांव बना वनांचल को रोल मॉडल
136 परिवार…300 की आबादी…हर घरों में वाटर रिचार्ज के लिए बनाया सोख्ता गढ्ढा…बिना शासकीय मद्द के गांव में हर ग्रामीण ने बनाया सोख्ता गढ्ढा
Nbcindia24/ राजनांदगांव। छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की सीमा व ब्लाक के अंतिम छोर पर बसा अतिसंवदेनशील गांव डुमरघुंचा, 136 परिवारों का मिट्टी से बना छानीयुक्त मकान. जलसंग्रहण को लेकर यंहा रहने वाले ग्रामीणों की सोच एैसी की वे आज कस्बो व शहरों में सर्वसुविधायुक्त बिल्डिंगों में रहने वालों को काफी पीछे छोड़ अपने गांव को आदर्श गांव में तब्दील कर दिया है. डुमरघुंचा गांव में हर ग्रामीणों ने जलसंग्रहण व गांव का जलस्तर बढ़ाने अपने-अपने मकानो में सोख्ता गढ्ढा का निर्माण किया है. इसके चलते गांव में मच्छरों व मलेरिया से भी काफी राहत मिली है।

पुरी तरह मुक्ति मिल गई है.
बीहड़ वन एवं बार्डर पर बसा गांव डुमरघुंचा में एक वर्ष पहले तक पेयजल व निस्तार के लिए हमेशा जलसंकट का सामना करना पड़ता था. इस समस्या के निराकरण के लिए गांव के प्रमुख निवासी रियाज खान की जल संग्रहण की सोच ने आज गांव की न केवल तस्वीर बदल दी है बल्कि डुमरघुंचा संपूर्ण वनांचल में एक आदर्श गांव बनकर उभरा है. खान की प्रेरणा व परिश्रम से एकजुट हुए ग्रामीणों ने गांव के हर मकान में सोख्ता गढ्ढा का निर्माण किया है. इससे बारिश के पानी के साथ-साथ घर के निस्तार का पुरा पानी जमीन में लौट रहा है. इससे गांव का जलस्तर बीते वर्षों के मुकाबले तेजी से बढ़ गया है. पहले यहां पर 250 से 300 फीट में पानी मिलता था, लेकिन अब 50 से 100 फीट के अंदर ही भरपुर जलस्त्रोत मिल रहा है. मुडपार ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम डुमरघुंचा के सरपंच विष्णुदेव मंडावी, मितानिन कलसिया बाई ने बताया की बिना किसी शासकीय मद्द के डुमरघुचा के ग्रामीणों ने स्वयं के पैसे से हर घर में सोख्ता गढ्ढा का निर्माण कर जल संग्रहण के क्षेत्र में एक अनूठा पहल किया है।

ग्रामीण प्रदीप दास, भागसिंह मंडावी, सुशीला सलामे, महाशीर नेताम, भुनेश्वरी कोर्राम, शांति कचलामे, स्वरूप बाई, उपसरपंच भीष्मदेव मंडावी ने बताया की जब से वे रियाज भाई के मार्गदर्शन व अगुवाई में जल संग्रहण के लिए सोख्ता गढ्ढा का निर्माण किया है तब से गांव का जलस्तर काफी बढ़ गया हैं. पहले गांव में स्थापित हैडपंप में पानी तत्काल मिल जाता है और गांव के तालाब में गर्मी में भी पानी मिल रहता है. इसके अलावा गांव में निस्तार पानी की निकासी का झंझट खत्म हो जाने से मच्छरों से पुरी तरह मुक्ति मिल गई है।
इधर गांव में वाटर रिचार्ज के लिए प्रेरणास्त्रोत बने रियाज खान का कहना है की हर काम के लिए सरकार की राह देखना उचित नही है. अपने जीवन को खुशहाल बनाने के लिए हमको ही आगे आकर कार्य करने की आवश्यकता है।

सोख्ता गढ्ढा के निर्माण में लागत 12 से 15 सौ रूपये खर्च
डुमरघुंचा के ग्रामीणों ने किसी शासकीय मद से नही बल्कि अपने स्वयं के खर्च से अपने-अपने घरों में सोख्ता गढ्ढा का निर्माण किया है. रियाज खान व ग्रामीणों ने बताया की सोख्ता गढ्ढा निर्माण में मुश्किल से 12 से 15 सौ रूपए ही खर्च आता है. यदि इस कार्य में व्यक्ति स्वंय मजदूरी करता है तो मात्र एक हजार रूपए के अंदर ही सोख्ता गढ्ढा का निर्माण हो जाता है।

सोख्ता गढ्ढा निर्माण 2 बाई 2 फीट का गढ्ढा निर्माण किया जाता है. गढ्ढे में छोटा-छोटा पत्थर गिट्टी डाल दिया जाता है और इसके उपर केप कवर बनाकर ढ़क दिया जाता है. बारिश व निस्तार के पानी को प्लास्टिक पाईप की केसींग बनाकर इसे वापस जमीन में पहुंचा दिया जाता है।
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