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nbcindia24/वीरेन्द्र भारद्वाज/ दल्लीराजहरा । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पुनीत बेला में सर्व समाज समरसता समिति दल्ली राजहरा द्वारा आयोजित भारतीय नववर्ष का भव्य एवं दिव्य समारोह 31मार्च से 02 अप्रैल तक होगा । प्रथम दिवस 31 मार्च को शिव संस्कार धाम से भगवा ध्वज लेकर बाइक रैली निकलेगी जो नगर व वार्डों के प्रमुख मार्गो से गुजरेगी | तथा चौक चौराहो पर दीपोत्सव मनाया जायेगा | द्वितीय दिवस* :-01 अप्रैल को नगर के सभी वार्डों मे *कुल 60 स्थानों पर संध्या ठीक 7 बजे* एक साथ भारत माता की सामूहिक आरती आयोजित की गयी है| जहाँ सभी वार्डवासी अपने घर से 5 दीपक सजाकर लाएंगे और नगर भर में *1 लाख दीप जलाकर* दीपोत्सव मनाएंगे |
*तृतीय दिवस* :- _02 अप्रैल को दोपहर 2 बजे से bsp प्राथ. शाला क्र. 6 से विशाल शोभा यात्रा निकलेगी जो नगर भ्रमण करते हुए वापस कार्यक्रम स्थल पहुंचेगी |संध्या 6:30 बजे* कार्यक्रम स्थल प्राथ. शाला क्र. 6 में *1001 दीपो के साथ भारतमाता की सामूहिक आरती* होंगी | जिसके बाद बनारस के गंगा आरती के तर्ज पर भारतमाता की भव्य एवं दिव्य आरती* की जाएगी | इसके पश्चात अतिथि स्वागत उद्बोधन व उत्कृष्ट समाज को उगोना सम्मान तथा बालोद जिले के पर्यटन पर आधारित पत्रिका *”राजहरा पर्यटन पथ”* का विमोचन किया जायेगा| भारतीय नववर्ष के *प्रमुख वक्ता आदरणीय श्री सुबोध राठी जी प्रान्त प्रमुख गौ सेवा एवं पूर्व प्रान्त प्रमुख धर्म जागरण छत्तीसगढ़ तथा श्रीमती निशा साहू जी छत्तीसगढ़ मानस कोकिला होंगे|

भारतीय नववर्ष कैसे मनाये दिव्य नववर्ष – भव्य नववर्ष* आइये इस नव्य उत्सव को भव्य रूप से परिवार के साथ मनाने से पहले जाने की भारतीय नववर्ष कैसे मनाये ।सबसे पहले घर एवं पूजा स्थल की सफाई करें। सूर्योदय के पहले स्नान कर सूर्य नारायण को अर्ध्य देवें|प्रातः काल घर आंगन को रंगोली व फूलों से सजाये|इस मांगलिक अवसर पर अपने घर में भगवा ध्वज लगाएं| शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात नवरात्र का पहला दिन यही है| अतः मुख्य द्वार पर आम पत्ते का वंदनवार अवश्य लगाएं.|संध्या बेला में अपने अपने घरों में कम से कम 11 दीपक जलाकर दीपोत्सव मनाये|परस्पर हम एक दूसरे को भारतीय नववर्ष की दिल से बधाईव शुभकामनायें दें|अपने परिचित, मित्रों और रिश्तेदारों को भारतीय नववर्ष की बधाई व शुभकामनायें भेजे|गरीबों को अन्न दान- वस्त्र दान करें | हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नया संवत भी कहते हैं। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत होती है। इसे गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से भारत के कई क्षेत्रों में मनाया जाता है।हिन्दू नववर्ष मनाने के प्रमुख कारण ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने माँ भगवती की कृपा से इसी दिन सूर्योदय के पहली किरण के साथ सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी।सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है। स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया।सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की|युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।संघ संस्थापक प.पू.डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन।महर्षि गौतम जयंति ।

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