Nbcindia24/न्यूज़ डेस्क/ माता-पिता की उंगली पकड़ बेटा चलना सीख और अपने पैरों से स्कूल चल कक्षा पांचवी तक पढ़ाई किए, लेकिन अचानक सिर से पिता का साया उठ जाने के महज 6 माह बाद वही बेटा 11 साल की उम्र में पैरों से अपाहिज हो गया, लाचार मां गरीबी के चलते चाह कर भी अपने बेटे का इलाज नहीं करा पा रहे, जिन्हें बेटे के ईलाज के लिए शासन-प्रशासन से मदद की उम्मीद है क्या शासन- प्रशासन बेबस मां की सुनेगी फरियाद
अपने बेटे को लाड प्यार करती यह बेबस मां गीता बाई पोयाम व उनके दिव्यांका पुत्र अंकुश कुमार पोयाम है, जो छत्तीसगढ़ सरकार में महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री अनिला भेड़िया के विधानसभा क्षेत्र बालोद जिले के डौंडीलोहारा अंतर्गत ग्राम पंचायत अड़जाल के आश्रित जमहिगांव का निवासी है, एक वर्ष की उम्र में माता-पिता की उंगली पकड़ बेटा चलना सिखा, तो बेटे को अपने पैरों में चलता देख माता-पिता का खुशी का ठिकाना नहीं रहा, पढ़ने का समय आया तो रोजाना अपने माता-पिता को हाथ दिखा टाटा कर अपने पैरों से स्कूल पहुँच कक्षा पांचवी तक पढ़ाई किए।
2 साल पहले आचानक अंकुश के सिर से पिता का साया उठ गया, तो वही पिता के मौत के महज 6 माह बाद बालक पैरों से अपाहिज हो गया, अपने बेटे को इस हाल में देख मां को चिंता खाई जा रही, हर पल अपने बेटे के साथ घर में रह उनकी देखरेख करती है, बेटे का ईलाज कराना तो चाहती है पर उनके सामने सबसे बड़ा रोड़ा उनकी गरीबी और परिस्थिति है।
सिर से पिता का साया उठ जाने के बाद इस घर में मां एक बेटी व दिव्यांग बेटा ही रहता है, परिवार बहुत गरीब है सरकार से मिलने वाले चावल से पेट का भूख मिटाता है।
रिश्तेदार व ग्रामीणों की मदद से शासन-प्रशासन के चक्कर काटने के बाद 1 साल पहले 45% दिव्यांगता का प्रमाण पत्र तो बना दिया गया, परंतु आजतक ना तो उन्हें दिव्यांगता भत्ता दिया गया और ना ही सरकारी ईलाज व कोई आर्थिक मददत का मरहम।
इस मामले को लेकर जब क्षेत्र के विधायक व महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री अनिला भेड़िया के प्रतिनिधि से सवाल किया गया, तो उन्होंने मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलने की बात कहते हुए, मामला मंत्री का क्षेत्र और विभाग का होने की बात कहते हुए जल्द से जल्द ईलाज व आर्थिक मदद देने का आश्वासन दिया।
तो वही डौंडी जनपद पंचायत के प्रभारी सीईओ डिप्टी कलेक्टर अविनाश ठाकुर मामले को संज्ञान में ले ट्राई साइकिल व शासन-प्रशासन से मिलने वाली योजनाओं के तहत हर संभव मदद का भरोसा दिया।
बहरहाल देखने वाली बात होगी कि इस बालक तक शासन-प्रशासन की मदद कब तक पहुँच पाती है, समय रहते बालक को इलाज मिल जाए तो डॉक्टर से मिली जानकारी के अनुसार या बालक एक बार फिर अपने पैरों में चल भविष्य की उड़ान भर सकता है।
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