देवी-देवताओं की रहस्यमय जेल और देवी की देव अदालत, कहाँ है यह मंदिर और क्या है इस मंदिर का रहस्य  

Nbcindia24/Chhattisgarh/Balod आमतौर पर थाना के बारे में आप सब जानते है,परन्तु हम आपको रहस्यों से भरी  एक अजीबोगरीब थाना के बारे में बतलाने जा रहे, जहां बड़े बुजुर्गों के कथना अनुसार नियम विरुद्ध गलत कृत्य करने वाले देवी देवताओं को प्रकृति की गोद में बसी मां थानावाली दण्डित कर सजा देती है।
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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी के नैनिहाल मां कौशल्या के छत्तीसगढ़ में अनगिनत रहस्य छूपा है, उन्हीं में से एक बालोद जिले के वनांचल क्षेत्र डौंडी ब्लाक स्थित ग्राम ठेमा बुजुर्ग, जहां विशाल अद्भुत दर्जनों बरगद पेड़ के नीचे प्रकृति की गोद में विराजमान है, आदिवासियों की आराध्य देवी बरगहिंया मां दंतेश्वरी की प्राचीन मंदिर, माता का यह मंदिर पहले आसपास 12 गांव के आस्था का केंद्र हुआ करता था, जो वर्तमान समय में बढ़कर 18 गांव की आस्था का केंद्र है, जहां हर अच्छे और शुभ कार्य करने से पहले 18 गांव के ग्रामीण माता के दरबार में पहुंच माथा टेक अनुमति व आशीर्वाद लेकर करते है।
भरतलाल विश्वकर्मा, सचिव- मां दंतेश्वरी मंदिर समिति ग्राम ठेमाबुज़ुर्ग

गांव के बड़े बुजुर्गों के कथन अनुसार ब्रिटिश शासन के दौरान महाराष्ट्र के लांजीगढ़ में मराईराजा का राज हुआ करता था और राजा मां दंतेश्वरी का परम भक्त था, जो अग्रेजो से त्रस्त होकर लांजीगढ़ में अपने चल अचल संपत्ति को  छोड़ कही चले गए, जिन्हें राजा के दीवान व सेना, देवी-देवताओं के साथ हाथी, घोड़ा, कुत्ते को लेकर महाराष्ट्र लांजीगढ़ से ढूंढने निकले और जहां भी पहुंचे कुछ ना कुछ निशान छोड़ते आगे बढ़ते गए, तब उस दिनों के जंगल व वर्तमान में बालोद जिले के ग्राम कामता गांव पहुंचे, जहां कुछ समय ठहरने और भोजन के बाद उनका काफिला आगे बढ़ घोरदा नदी पार कर ठेमाबुज़ुर्ग की ओर निकल पढ़े., इसलिए इस जगह को कामता गांव का नाम दिया गया।
सुकलुराम कोसमा, ग्रामीण ग्राम कामता

जब दीवान व देवी-देवताओं का काफिला कामता गाँव से आगे बढ़ा तो साथ आए एक कुत्ता जूठन पत्तल को चाटते वही रुक गया और वह कुत्ता पत्थर में तब्दील हो गया, जो आजतक रहस्य बना हुआ है…?

वही जब दीवान और सेना के साथ मां दंतेश्वरी का काफिला अद्भुत प्राकृतिक बरगद पेड़ों के नीचे ठेमा पहुंचा, तो पेड़ो की भौगोलिक सुंदरता को देख मां दंतेश्वरी आगे ना बढ़ यही रहने का निर्णय ले यही ठहर गई, तब से इस गांव का नाम ठेमा से ठेमाबुजुर्ग पड़ गया, तब से यहाँ के लोग प्रकृति की पूजा करते आ रहे हैं।
न्यायालय [अदालत] के बारे में आप सब जानते है, जहाँ अपराधी को सजा निर्दोष को न्याय मिलता है, पर आज हम आपको इस मंदिर की अजीबोगरीब रहस्जाय बतलाने जा रहे, जहां गांव के बड़े बुजुर्गों के कथना अनुसार देवी और देवताओं की आदलत लगती  है, जिसमे थाना और सिपाही भी हैं, जहाँ नियम विरुद्ध गलत कार्य करने वाले देवी-देवताओं या जादू टोना करने वाले शैतानों के खिलाफ स्वयं मां दंतेश्वरी सुनवाई कर सजा देती है, .जिन्हें थानावाली देवी भी कहते है, ग्रामीणों के अनुसार इस दौरान मंदिर का वातावरण कुछ अलग होता है, जिनके बारे में ग्रामीण कुछ बताने से परहेज कर माता के आदेशानुसार रहस्य रखने की बात कहते है, आपको बतलादे कि ब्रिटिश शासन के दौरान पहले क्षेत्र का थाना ठेमाबुजुर्ग में हुआ करता था, जिन्हें 1903 में डौंडी शिफ्ट किया गया|

मंदिर समिति के अध्यक्ष बतलाते हैं कि इस मंदिर में एक राज फिरनतीन देवी रहती है, जिनके सामने मंदिर समिति के पांच पंचों द्वारा पूजा अर्चना कर जिस किसी के लिए कोई मन्नत मांगता है, तो माता उनकी मन्नरे पूरी करती है।

बतला दे कि दिपावली के तुरंत बाद प्रथम रविवार को इसी मंदिर प्रांगण से क्षेत्र में पारंपरिक मड़ाई मिले की शुरुआत होती है, जहां आस पास 18 गांव के सबसे ज्यादा डांग डोरी के साथ देवी-देवता इस मंदिर के देव मंडई में शामिल होते है, वही दोनों नवरात्रि के दिनों में माता के इस मंदिर में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किया जाता है, जहां दूरदराज से माता के भक्त व जनप्रतिनिधि भारी संख्या में माता के दरबार में पहुंच श्रद्धा सुमन अर्पित कर आशीर्वाद लेते हैं|
माता के प्रति लोगों की आस्था ही है कि क्षेत्र की विधायिका व मंत्री अनिला भेड़िया हर शुभ कार्य की शुरुआत से पहले माता के मंदिर पहुँच माथा टेकती है, 20 जनवरी 2021 को प्रदेश के मुख्या भूपेश बघेल ठेमाबुज़ुर्ग में आदिवासी समाज द्वारा आयोजित सम्मेलन में पहुँच, माता की दर्शन कर मंदिर परिसर में सामुदायिक भवन व तांदुला नदी में एक पूल की सौगात दिए।

इसी तरह सरकार और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों  के साथ आम लोगों का सहयोग मिलता रहेगा, तो जल्द ही मां दंतेश्वरी का यह मंदिर भव्य आस्था का केंद्र के साथ-साथ पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित होने की उम्मीद है |

मंदिर परिसर में विशाल दर्जनों बरगद के पेड़ पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनुपम उदाहरण है, जिन्हें देख आपको बार-बार आने का मन होगा  है |

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