धान का कटोरा कहा जाने वाला छत्तीसगढ़, लोकगीत और लोकनृत्य संसकृति का अभिन्न हिस्सा है- झम्मन लाल हिरवानी

Nbcindia24/बालोद/छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना संयोजक गरूर ब्लाक,झम्मन लाल हिरवानी ने छत्तीसगढ़ के आम जनता को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर सुभ कामनाएँ संदेश देते हुये कहा कि, छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक विरासत में समृद्ध है। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन 01नवम्बर सन 2000 ई0 मे हुई है। राज्य में एक बहुत ही अद्वितीय और जीवंत संस्कृति है। इस क्षेत्र में 35 से अधिक बड़ी और छोटी रंगो से भरपूर जनजातियां फैली हुई हैं। उनके लयबद्ध लोक संगीत, नृत्य और नाटक देखना एक आनंददायक अनुभव है जो राज्य की संस्कृति में अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता हैं।


छत्तीसगढ़ के लोकगीत और लोकनृत्य संसकृति का अभिन्न हिस्सा है श्री हिरवानी ने कहा,छत्तीसगढ़ की संस्कृति में गीत एवं नृत्य का बहुत महत्त्व है। यहाँ के लोकगीतों में विविधता है। गीत आकार में अमूमन छोटे और गेय होते है एवं गीतों संगीतो का प्राणतत्व है । छत्तीसगढ़ के प्रमुख और लोकप्रिय गीतों में से कुछ हैं:हरेली,भोजली, पंडवानी, जस गीत, भरथरी लोकगाथा, बाँस गीत, गऊरा गऊरी गीत, सुआ गीत, देवार गीत, करमा, ददरिया, डण्डा, फाग, चनौनी, राउत गीत और पंथी गीत। इनमें से सुआ, करमा, डण्डा व पंथी गीत नाच के साथ गाये जाते हैं।
छत्तीसगढ़ भारत का ऐसा राज्य है जिसे ‘छत्तीसगढ़ महतारी'(मां) का दर्जा दिया गया है।भारत में दो क्षेत्र ऐसे हैं जिनका नाम विशेष कारणों से बदल गया -एक तो ‘मगध’ जो बौद्ध विहारों की अधिकता के कारण “बिहार” बन गया और दूसरा ‘दक्षिण कौशल’ जो छत्तीस गढ़ों को अपने में समाहित रखने के कारण “छत्तीसगढ़” बन गया। किन्तु ये दोनों ही क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से ही भारत को गौरवान्वित करते रहे हैं।”छत्तीसगढ़” तो वैदिक और पौराणिक काल से ही विभिन्न संस्कृतियों के विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ के प्राचीन मन्दिर तथा उनके भग्नावशेष इंगित करते हैं कि यह ऋसियो तपस्यायो,की कर्म भूमि है ,  वैष्णव, शैव, शाक्त, बौद्ध संस्कृतियों का विभिन्न कालों में प्रभाव रहा है धान का कटोरा छत्तीसगढ़
एक संसाधन संपन्न राज्य, यह देश के लिए बिजली और इस्पात का एक स्रोत है, वन सम्पदा,खनिज संपदा से परिपूर्ण है। छत्तीसगढ़ के सिहावा पर्वत से महानदी निकलती है जो मध्य भाग में उपजाऊ भूमि और फसल के लिए जल प्रदान करती है, जिसके कारण यहाँ धान की फसल अधिक होता है। इसलिए छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है।

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