मां बमलेश्वरी की दर्शन करने दूरदराज से पैदल व वाहन से पहुंच रहे भक्त धर्म नगरी डोंगरगढ़, आइए जानते हैं बमलेश्वरी से जुड़ी कुछ मान्यताएं।

Nbcindia24/छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित मां बमलेश्वरी का मंदिर पूरे विश्व में विख्यात है। साल दर साल इस मंदिर के प्रति भक्तों की आस्था बढ़ती ही जा रही है। बीते दो वर्ष में कोरोना काल के चलते मंदिर का पट नवरात्रि में भी नहीं खोला गया था। परंतु इस बार नवरात्र में मंदिर का पट भक्तों के लिए खोला गया। जहां भक्त दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामना लेकर माता के दर्शन करने पहुंच रहे।

धर्म नगरी के नाम से प्रसिद्ध राजनांदगांव जिले का डोंगरगढ़। जहां ऊंची पहाड़ी पर विराजमान है विश्व प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी देवी। तो वही पहाड़ी के नीचे माँ छोटी बमलेश्वरी विराजमान। छत्तीसगढ़ में पर्यटन के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले डोंगरगढ़ शहर तक पहुंचने श्रद्धालुओं के लिए रेलगाड़ी व सड़क दोनों की ही सुविधा हैं।

मां बमलेश्वरी देवी का इतिहास हजारों वर्ष पुराना एवं मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं भी है। ऐसा मान्यता है कि राजा मदन सेन का पुत्र कामसेन था जिसके नाम पर पूर्व में डोंगरगढ़ का प्राचीन नाम कामावती नगरी रखा गया था। जानकार बतलाते हैं कि राजा कामसेन के राज दरबार में एक राज नर्तकी कामकंदला नाम की थी। वही माधवनल नाम का निपुण संगीतज्ञ भी था। धीरे-धीरे माधव नल और काम कंदला के बीच प्रेम प्रसंग स्थापित होने लगा। जिस की जानकारी राजा कामसेन को लगी। जानकार बतलाते है राज दरबार के नर्तकी को विवाह करने की अनुमति नहीं होती थी। वही कामकंदला और माधव नल के बीच प्रेम की जानकारी राजा कामसेन को लगने पर उन्होंने माधवनल को देश निकाला कर दिया। जिसके बाद माधव नल उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के दरबार में पहुंचे और अपने संगीत से उनका मन मोह लिया और राजा विक्रमादित्य ने खुश होकर माधवनल को इच्छा वर मांगने को कहा। तब माधवनल ने उनसे कामकंदला को मांग लिया। जिसके बाद राजा विक्रमादित्य ने कामसेन को पत्र लिखकर कामकंदला को सौंपने की मांग की जिसे राजा कामसेन ने ठुकरा दिया। जिसके बाद राजा विक्रमादित्य ने काम सेन पर आक्रमण कर दिया। युद्ध में कमजोर पड़ता देख राजा काम सेन ने अपनी आराध्य देवी मां भगवती का आह्वान किया। मां भगवती ने युद्ध क्षेत्र में आकर विक्रमादित्य की सेना पर आक्रमण कर दिया। जिसके बाद युद्ध में कमजोर पड़ता देख विक्रमादित्य ने अपने आराध्य भगवान शिव का आवाहन किया। भगवान शिव साक्षात युद्ध क्षेत्र में प्रकट हुए और मां भगवती के गुस्से को शांत कराया और दोनों राजाओं के बीच सुलह कराई तब से यह मान्यता है कि भगवान शंकर और मां भगवती साक्षात मां बमलेश्वरी के रूप में इस मंदिर में विराजमान हैं। जहां लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामना ले मां बमलेश्वरी के दर्शन करने दूर-दूर से पहुंचते हैं ।

 

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