बारिस में टपकता है छत ग्रामीणों ने स्वयं के खर्च से बना सुरु की सेड निर्माण ना हो बच्चो की पढ़ाई प्रभावित,एक महीने पहले ही सांसेट्टी पंचायत गांव को किया गया है नक्सल मुक्त गांव ग्रामीणों को उमीद रुका हुआ विकास अब होगा सुरु
सुकमा से धर्मेन्द्र सिंह @ छत्तीसगढ़ शासन हर स्कूल में बच्चो को हर सुविधाओं के साथ शिक्षा देने की बाते तो करता है लेकिन सुकमा जिले में तीन वर्ष से बच्चे टपकते छत के नीचे पड़ने को मजबूर है वही ग्रामीणों ने अपने खर्च पर एक सेड का निर्माण कर रहे है कि उनके गांव के बच्चों का पढ़ाई बरबाद ना हो वही आपको बता दे कि यह पंचायत पहले नक्सल प्रभावी था कुछ महीने पहले ही इस गांव को नक्सल मुक्त गांव हुआ है।
ग्रामीणों को विश्वास था कि अब उनके गांव का रुका हुआ विकास सुरु हो जाये गा वही जिले के कोंटा ब्लॉक अंतर्गत चिंचौरगुड़ा प्राथमिक शाला जर्जर स्कूल भवन में संचालित हो रहा है। जर्जर प्राथमिक स्कूल भवन की हालत देखकर ग्रामीणों ने अस्थाई रूप से शेड बनाकर स्कूल संचालन करने की पहल की है। जिसके लिए ग्रामीणों ने एस्वेस्टस शीट और सीमेंट के पोल की खरीदी कर शेड तैयार किया जा रहा है। ताकि बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से हो सके।
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दो वर्षों से स्कूल की जर्जर हालत की शिकायत कोंटा विकासखंड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी व कलेक्टर से किए। हाल ही में सुकमा दौरे पर पहुंचे डिप्टी सीएम से भी यहां की ग्रामीणों ने मुलाकात कर जर्जर स्कूल की मरम्मत के लिए गुहार लगाई थी लेकिन उसके बाद भी मरम्मत नहीं होने से यहां की ग्रामीणों ने अपने से पैसे एकत्रित किए, अनुदान से उन्हें ₹15000 अतिरिक्त मिले इन सब राशि मिलकर एस्वेस्टस शीट और सीमेंट के पोल की खरीदी कर शेड तैयार किया जा रहा है। ताकि बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से हो सके।
शिकायत के बाद भी नहीं हो पाई है स्कूल की मरम्मत
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दो वर्षों से स्कूल की मरम्मत करने की मांग की जा रही है लेकिन उसके बाद भी नहीं हुआ है क्योंकि स्कूल की छत से बारिश के दौरान पानी जगह-जगह से टपकता है जिसकी वजह से बच्चे स्कूल के रूम में नहीं बैठ सकते इसलिए बारिश को देखते हुए बच्चों के लिए अतिरिक्त सेट निर्माण कर बैठने की व्यवस्था की जा रही है।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने लिया स्कूल का जायजा
इस पूरे मामले की जानकारी मीडिया के माध्यम से विकासखंड शिक्षा अधिकारी को मिली तो विकासखंड शिक्षा अधिकारी श्रीनिवास राव ने प्राथमिक शाला पहुंचकर जर्जर स्कूल की स्थिति जायजा लिया। फिलहाल सेट तैयार किया जा रहा है ताकि बच्चों को बारिश से के दौरान बैठने में प्रकार की सुविधा न हो। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यहां पर अतिरिक्त का भी जल्द निर्माण किया जाएगा।
स्कूल में एक शिक्षक है पदस्थ और एक शिक्षक की मांग
करीब 15 वर्षों से इस स्कूल में दो शिक्षकों की पदस्थापना है लेकिन एक शिक्षिका को आश्रम अधीक्षक बनाए जाने के कारण यहां पर डेढ़ दशक से एक ही शिक्षक के भरोसे अध्यापन कार्य संचालित किया जा रहा है और इस स्कूल में 40 से अधिक बच्चों की दर्ज संख्या है ऐसे में एक शिक्षक को कक्षा एक से कक्षा पांचवी तक अध्यापन कार्य करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।
ग्रामीणों ने बताया कि एक शिक्षक होने की वजह से अवकाश लेने या फिर ऑफिस के काम से कहीं बाहर जाने की स्थिति पर स्कूल में पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित होती है एक तरह से स्कूल बंद होने की स्थिति बन जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षक की कमी दूर करने के लिए जिला प्रशासन से कई बार अवगत करा चुके हैं, लेकिन अब तक शिक्षक उपलब्ध नहीं कराया गया है। स्कूल में एक और शिक्षक की व्यवस्था की जाए, ताकि यहां के बच्चे भी बेहतर शिक्षा ग्रहण कर सके। उन्होंने कहा कि अगर दो शिक्षक होते तो नवोदय प्रयास जैसे स्कूल की चयन परीक्षा के लिए तैयारी कर पाते से यहां के बच्चे भी अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सके।
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