दंतेवाड़ा @ जिले मे लगातार भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है जिसे लगातार जिला कांग्रेस महामंत्री विमल सलाम ने फिर एक बार शासन-प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।ज्ञात हो विमल सलाम लगातार जिले हो रहे भ्रष्टाचार के लिए शासन-प्रशासन से सवाल करते आ रहे है,जो कि इस बार शिक्षा को ही भ्रष्टाचार का अड्डा बनाया गया है। सलाम ने बताया कि “डीएमएफ फंड का उपयोग केवल जनकल्याण और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में पारदर्शी तरीके से होना चाहिए साथ ही हर पैसे का हिसाब जनता के सामने होना चाहिए। अगर बीआरसी, शिक्षा विभाग या किसी अन्य माध्यम से अनियमितताएँ हो रही हैं, तो तत्काल स्वतंत्र जांच करवाकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
दंतेवाड़ा के डीएमएफ फंड का दुरुपयोग रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से स्वतंत्र ऑडिट कमेटी का गठन हो। हर प्रोजेक्ट की प्रगति और खर्च का विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाए, ताकि जनता को पता चले कि उनका पैसा कहाँ जा रहा है। भाजपा सरकार मे मंत्रियो के मिलीभगत से बी. आर. सी. विभाग बना भ्रष्टाचार का अड्डा बिना टेंडर के कराये जा रहे है करोड़ो के डोम सेड औऱ पोटाकेबिन का कार्य कराया जा रहा जिसका कोई हिसाब नहीं ।पंचायत के जनप्रतिनिधि के द्वारा ग्रामो की किसी काम को लेकर प्रशासन से मिलो तो फंड नहीं होने का हवाला दे दिया जाता है ग्रामीणों को खाली हाँथ लौट ना पड़ रहा है ,ऐसे मे चुने हुए जनप्रतिनिधि अपने पंचायतो मे मुलभुत जरुरी कार्य कैसे करवा पाएंगे डीएमएफ फंड बस्तर के लोगों का हक है।
शिक्षा और विकास के नाम पर बंदरबांट बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ग्राम सभाओं और स्थानीय समुदायों को फंड के उपयोग में शामिल किया जाए, ताकि कोई गड़बड़ी न हो सके।”यदि डीएमएफ फंड के दुरुपयोग किया जा रहा है, तो दोषियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत तुरंत मुकदमा दर्ज हो। चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली हो, कानून से ऊपर कोई नहीं है।”बस्तर में शिक्षा के लिए डीएमएफ फंड का उपयोग स्कूलों की स्थिति सुधारने, शिक्षकों की भर्ती और बच्चों के लिए बेहतर संसाधनों में होना चाहिए, न कि निजी एजेंसियों के जरिए हेराफेरी में। हम मांग करते हैं कि फंड का 100% उपयोग बच्चों के भविष्य बस्तर के विकास,औऱ मुलभुत सुविधा के लिए हो।
पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करें दंतेवाड़ा प्रशासन औऱ सरकार
डीएमएफ के हर खर्च का हिसाब समयबद्ध तरीके से सार्वजनिक हो, ताकि भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश न रहे?डीएमएफ फंड के दुरुपयोग पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। अगर वह बस्तर की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना चाहते हैं, तो पहले भ्रष्टाचार की जड़ें काटें और दोषियों को सजा दिलाएँ।सरकार ने 10 लाख तक के कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया अनिवार्य की थी, लेकिन 20 से 40 लाख औऱ करोड़ो तक के कार्य बिना टेंडर के दिए जा रहे हैं। इसका सीधा सीधा उदाहरण DMF से( बी. आर. सी )विभाग को एजेंसी बनाकर करोड़ों का बन्दर बाँट चल रहा है क्या प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है या अनजान होने का ढोंग चल रहा ,किसके कहने पर बिना टेंडर के करोड़ों के कार्य कराये जा रहे है जवाब दे प्रशासन ? यह नीति का खुला उल्लंघन है और सरकारी प्रक्रियाओं में गंभीर अनियमितता को दर्शाता है।
ऐसी प्रथाएँ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती हैं और जनता के विश्वास को ठेस पहुँचाती हैं।”20 से 40 लाख तक के कार्यों का बिना टेंडर के आवंटन छोटे और स्थानीय ठेकेदारों के लिए अन्यायपूर्ण है। सरकार को चाहिए कि टेंडर प्रक्रिया को सख्ती से लागू करे और छोटे ठेकेदारों को समान अवसर दे।”बिना टेंडर के 20 से 40 लाख तक के कार्यों के आवंटन की तत्काल और स्वतंत्र जाँच होनी चाहिए। ऐसी अनियमितताओं के जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाए और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। “सभी निर्माण कार्यों, चाहे उनकी राशि कितनी भी हो, किसी भी कार्य के लिए निविदा प्रकृया का उपयोग अनिवार्य होना चाहिए। यह पारदर्शिता बढ़ाएगा और भ्रष्टाचार को रोकेगा।
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