भारतीय महिला फुटबॉल टीम ने रचा इतिहास, 22 साल बाद भारत की एशियन कप में वापसी, थाईलैंड को हराकर 2026 के लिए किया क्वालिफाई; छत्तीसगढ़ की किरण पिस्दा बनीं जीत की गेम चेंजर
छत्तीसगढ़/ संजय सोनी बालोद: भारतीय महिला फुटबॉल टीम ने 22 साल बाद इतिहास रचते हुए एएफसी महिला एशियन कप 2026 के लिए क्वालिफाई कर लिया है। इस गौरवपूर्ण क्षण में छत्तीसगढ़ के बालोद जिले की बेटी किरण पिस्दा ने भारतीय टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई है। बतौर डिफेंडर खेल रहीं किरण ने थाईलैंड में हुए निर्णायक मुकाबले में डिफेंस को मजबूती दी, जिससे भारत ने मेज़बान टीम को 2-1 से हराया और टूर्नामेंट का टिकट कटाया। इस जीत के साथ पूरे बालोद जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है।
क्वालिफाइंग टूर्नामेंट थाईलैंड में खेला गया, जिसमें भारत ने ग्रुप-बी के चारों मैच जीते। निर्णायक मैच थाईलैंड के खिलाफ हुआ, जिसमें मिडफील्डर संगीता बसफोर ने दो गोल कर बढ़त दिलाई, लेकिन मुकाबले के आखिरी क्षणों तक डिफेंस को मजबूती से संभालना बेहद जरूरी था। यहां किरण पिस्दा की भूमिका सबसे अहम रही, जिसने भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाने में मदद की।
किरण के पिता महेश राम पिस्दा जिला संयुक्त कार्यालय में सहायक अधीक्षक हैं, जबकि मां मिलापा पिस्दा गृहिणी हैं। बेटी की इस उपलब्धि पर परिवार बेहद भावुक और गर्वित है। उन्होंने इसे पूरे छत्तीसगढ़ का सम्मान बताया।
किरण का फुटबॉल सफर केवल भारत तक सीमित नहीं है। 2023 में उन्होंने क्रोएशिया के एक फुटबॉल क्लब से अनुबंध कर यूरोपीय सर्किट में भी शानदार प्रदर्शन किया। इससे पहले वे चेन्नई के सेतू एफसी और केरल ब्लास्टर्स वुमन टीम का हिस्सा भी रह चुकी हैं। यूरोप में बिताए आठ महीने के अनुभव ने उनके खेल को नई धार दी है।
2014 से अब तक किरण देशभर के अनेक राज्यों जैसे कटक, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान-निकोबार आदि में जूनियर, स्कूल और सीनियर नेशनल टूर्नामेंट खेल चुकी हैं। साथ ही 2022 में नेपाल में आयोजित साउथ एशियन चैंपियनशिप में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया।
बालोद में लोग उन्हें ‘गोल्डन गर्ल’ कहने लगे हैं। फुटबॉल के प्रति उनका समर्पण और कठिन मेहनत रंग लाई है। आज किरण न केवल बालोद की, बल्कि पूरे राज्य की पहचान बन चुकी हैं। आने वाले समय में उनसे भारतीय महिला फुटबॉल को और ऊंचाइयों पर पहुंचाने की उम्मीद है।
खेल अभ्यास की बात करें तो जब भी किरण बालोद आती हैं, वे रोजाना छह घंटे का रूटीन फॉलो करती हैं। सुबह 5 से 8 और शाम 4 से 7 तक मैदान में अभ्यास करती हैं। उनके वार्ड में मैदान नहीं है, इसलिए वे रोजाना 500 मीटर दूर जाकर अभ्यास करती थीं। उनकी मेहनत आज मिसाल बन चुकी है।
परिजनों और वार्डवासियों के अनुसार किरण को कभी किसी सरकारी सहायता का लाभ नहीं मिला। उन्होंने उबड़-खाबड़ मैदानों में लगातार अभ्यास कर यह मुकाम पाया है। यही वजह है कि उनका संघर्ष आज सफलता में बदल चुका है।
किरण ने अपनी स्कूली पढ़ाई संस्कार शाला बालोद से की और 11वीं-12वीं महावीर इंग्लिश मीडियम स्कूल से पास की। इसके बाद वे रायपुर चली गईं, जहाँ उन्होंने आगे की पढ़ाई के साथ फुटबॉल अभ्यास भी जारी रखा।
2023 के जून में भुवनेश्वर में आयोजित जनजातीय नेशनल चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ की टीम ने गोल्ड मेडल जीता था। इस फाइनल में झारखंड के खिलाफ किरण और बस्तर की मुस्कान ने एक-एक गोल कर टीम को विजेता बनाया। यह उपलब्धि भी उनके खेल सफर में मील का पत्थर रही।
छत्तीसगढ़ की किरण पिस्दा आज देश के लिए गौरव बन चुकी हैं। उनकी कहानी बताती है कि यदि हौसला और मेहनत हो, तो संसाधनों की कमी भी रास्ता नहीं रोक सकती।
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