फरसगांव का आदित्य अब पढ़ेगा राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कालेज देहरादून में

12 वर्षीय आदित्य सिंह का चयन हुआ राष्ट्रीय इडियन मिलिट्री कॉलेज देहरादून में,छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री फ़ोन पर दी बधाई

कोंडागांव @ जिले के फरसगांव निवासी जयप्रकाश सिंह व संगीता सिंह के सुपुत्र 12 वर्षीय आदित्य सिंह का चयन राष्ट्रीय इडियन मिलिट्री कॉलेज देहरादून में हुआ। हाल ही में जारी आरआईएमसी की मेरिट लिस्ट में ऑल इंडिया रैंक-4 पाकर उसने फरसगांव नगर के साथ-साथ कोंडागांव जिला एवं छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया। इसमें छत्तीसगढ़ से सिर्फ इनका चयन हुआ है। वे वहां एनडीए के लिए तैयार होंगे।

मुख्यमंत्री ने दी बधाई

आदित्य कि इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव सायं जी ने आदित्य के पिता जयप्रकाश सिंह को फोन के माध्यम से शभकामनाएं दी। इस दौरान आदित्य के पूरे परिवार ने मुख्यमंत्री जी का दिल से आभार व्यक्त करते हुए प्रसन्नता जाहिर की।

हर राज्य के लिए एक सीट

बता दें कि राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) देहरादून देश का प्रतिष्ठित स्कूल है। नेशनल डिफेंस एडकेमी (एनडीए) जैसे संस्थाओं के लिए फीडर संस्थान भी माना जाता है। यहां से पढ़े ज्यादातर बच्चे सेना में अफसर बनते हैं। यहां प्रत्येक राज्य के लिए एक या दो सीट का कोटा है। छत्तीसगढ़ में एक सीट है। इसके अलावा अन्य राज्यों में भी एक या दो सीट है। यहां आठवीं में प्रवेश दिया जाता है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। यह परीक्षा कुल 400 अंकों के लिए होती है। इसमें इंग्लिश 125 अंक, सामान्य ज्ञान 75 और गणित 200 अंकों का होता है। इसके बाद फिर वाइवा और अंतिम में मेडिकल होता है।

क्या कहा आदित्य के पिता जयप्रकाश ने

इस दौरान आदित्य के पिता जयप्रकाश ने बताया कि आदित्य बचपन से ही मेधावी छात्र रहे सबसे पहले पहले कक्षा छठवीं में नवोदय विद्यालय के लिए आदित्य का चयन हुआ। उसके बाद सैनिक स्कूल में छत्तीसगढ़ में रैंक- 01 मिला था। किंतु आदित्य के रुचि देखते हुए हम लोगों ने उसे राष्ट्रीय मिलिट्री कॉलेज देहरादून के लिए सुखोई अकेडमी में कोचिंग के लिए भेजा। यहां एडमिशन के लिए कंपीटिशन ज्यादा था। इसलिए कोचिंग सर्च किया। ऑनलाइन पता चला कि फरिदाबाद में एक कोचिंग है, जो इस स्कूल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराती है। फरसगांव में मेरी एक दुकान जनरल स्टोर है। ऐसे में वहां भेजकर पढ़ाना आसान नहीं था। यह भगवान की मर्जी की थी कोचिंग ने स्कॉलरशिप के लिए टेस्ट लिया। इसमें मेरा बेटा सिलेक्ट हुआ और सौ फीसदी स्कॉलरशिप मिली। इस वजह से खाने-रहने और पढ़ने का कोई खर्च नहीं हुआ।

रात दो बजे तक करते थे पढ़ाई

आदित्य ने बताया कि जनवरी में कोचिंग में गए थे। शुरुआत में काफी दिक्कत हुई। क्योंकि, वहां लगातार क्लासेस चलती थी। बीच-बीच में 15 मिनट का ब्रेक मिलता था। 12 बजे तक यह चलती थी। इसके बाद फिर दो घंटे सेल्फ स्टडीज करना पड़ता था। इसके लिए रात दो बजे तक जगते थे। इसके बाद आदत हो गई। वहां इंग्लिश राइटिंग सीखा। शुरुआत में इंग्लिश में 50 शब्द भी लिखना कठिन था। अब दो सौ से ज्यादा लिखते हैं। इसी तरह डाउट भी क्लियर हुआ। एक महीने बाद आदत हो गई। यहां से एनडीए जाना है, यही लक्ष्य है।

Nbcindia24

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