दंतेवाड़ा @ युवा वयस किसी आयु अवस्था का नाम नहीं, बल्कि एक शक्ति का नाम है। जो लोग कुछ नया और अलग कर गुजरने की जज्बा रखते हैं, वे जीवन के किसी भी क्षेत्र में अपना परचम लहराते हैं। यूं तो आज अधिकांश शिक्षित युवा सरकारी नौकरी की चाहत रखते हैं परन्तु सच्चाई तो यह है कि हर किसी को नौकरी प्राप्त होना वर्तमान युग में संभव भी नहीं है। ऐसी परिस्थिति में स्वयं का छोटा कारोबार स्थापित करने में ही बुद्धिमानी है।
जिले के बालूद ग्राम के निवासी 32 वर्षीय मोहन सिंह ठाकुर भी ऐसे ही युवाओं में शामिल थे जो स्नातक शिक्षा प्राप्त करके नौकरी के लिए प्रयत्नशील रहे। परन्तु प्रतिस्पर्धा के इस युग में उन्होंने अपना लक्ष्य बदला और वर्तमान बाजार की मांग और समय की आवश्यकता का मूल्यांकन कर स्वयं का उद्यम स्थापित करने का निर्णय लिया। तत्पश्चात स्वयं की पूंजी लगाकर आज से 7 साल पहले जिला मुख्यालय के कटेकल्याण रोड स्थित दुर्गा चौक पर किराये की जगह लेकर ठाकुर फेब्रिकेशन के नाम से इंजीनियरिंग वर्क्स शॉप (फेब्रिकेशन) की इकाई स्थापित किया।इसी दौरान उन्हें जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के माध्यम शासन द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना की जानकारी मिली। जिसमें 35 प्रतिशत सब्सिडी, अनुदान राशि का प्रावधान था।
इस संबंध में मोहन सिंह ठाकुर आगे बताते है कि विभाग से जानकारी प्राप्त कर 25.00 लाख रुपये ऋण हेतु सम्पूर्ण दस्तावेज के साथ विभाग में आवेदन प्रस्तुत किया जिसे बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा दंतेवाड़ा के माध्यम से ऋण स्वीकृत किया गया। व्यवसाय की पूरी जानकारी होने के कारण उन्हें ऋण प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं हुई और क्षमता और अनुभव को देखते हुए उन्हें आसानी से 25.00 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत हुआ, ऋण प्राप्त होने के पश्चात विभाग द्वारा 8.75 लाख रुपये का सब्सिडी, अनुदान राशि प्राप्त हुआ। इसके पश्चात बैंक से प्राप्त ऋण से उन्होंने अपने प्रोजेक्ट के अनुसार मशीनरी, उपकरण और कच्चा माल कय कर उत्पादन कार्य शुरू किया।
बाजार में इंजीनियरिंग कार्य क्षेत्र में पहले से परिचित होने के साथ ईमानदारी, निष्ठा और लगन से कार्य करने के कारण वे ग्राहको का विश्वास जीतने में सफल रहे। अपने इस इकाई का विस्तार करके खिड़की, दरवाजे, चौखट चैनल गेट, शटर आदि के निर्माण से बाजार में उनके प्रोडक्ट की मांग में वृद्धि हुआ। जहां शुरुआती दौर में मोहन सिंह ने 2 कुशल कारीगरों के साथ अपना कार्य आरंभ किया था, वहीं आज उनके इकाई में 10 कुशल कारीगर कार्यरत हैं जिन्हें पारिश्रमिक के रूप में प्रतिमाह 9 हजार से 15 हजार रुपये तक भुगतान किया जाता है जिससे वे कार्य के प्रति समर्पित होकर ईमानदारी से कार्य करते है। इसके अलावा ग्राहकों की मांग को समय पर गुणवत्ता के साथ पूर्ण कर निर्मित उत्पाद को घर तक पहुंचाने की सेवाएं प्रदान की जाती है।
जिससे ग्राहकों का विश्वास भी बना रहता है। इसके अलावा मोहन सिंह ने अपने व्यवसाय में अच्छी आमदनी होने पर एक पिकअप वाहन भी क्रय किया गया है जिससे निर्मित वस्तुओं को ग्राहकों के घर तक पहुंचाने में आसानी होती है। स्थापित कुल मिलाकर वर्तमान में इस फेब्रिकेशन उद्यम से मोहन सिंह का सालाना 65.00 से 70.00 लाख रुपये तक का कारोबार कर रहे है जिससे 6.00 लाख रुपये तक शुद्ध मुनाफा प्राप्त होता है। वास्तव में आशावादी, आत्मविश्वास एवं महत्वाकांक्षा की सीढ़ी पर चलकर हर युवा अपनी मंजिल पा सकता है। सफल उद्यमी मोहन सिंह ठाकुर ने अपना मुकाम हासिल कर इसे साबित कर दिखाया है उन्होंने सरकारी नौकरी के बजाय स्व-उद्यम को अपना रोजगार का माध्यम बनाया और वे अपने द्वारा स्थापित उद्यम से लाभ तो अर्जित कर ही रहे है साथ ही साथ 10 लोगों को अपने उद्यम में रोजगार देकर नौकरी देने वाले उद्यमी के रुप में स्थापित हो गये हैं।
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