इस सिद्धपीठ से कोई श्रृद्धालु निराश नही लौटता,दूरदराज के लोगो का यहां लगता है तांता

धर्मेंद्र यादव @ धमतरी जिले के इलाकों मे देवी शक्तियो का हमेशा से ही वास रहा है पर गंगरेल तट पर विराजे वन की देवी अंरगारमोती माता की महिमा ही निराली है…इस सिद्धपीठ से कोई श्रृद्धालु निराश नही लौटता , यही वजह है कि हर नवरात्र मे आस्था की ज्योत जलाने इलाके के अलावा दूरदराज के लोगो का यहां तांता लग जाता है…धमतरी मे गगंरेल के पहाडो बीच मे विराजित मां अंगारमोती का यह भव्य दरबार बीते 6 सौ सालो के इतिहास को अपने अन्दर समेटे हुए है.

बताया जाता है 1972 में गंगरेल बांध बनाने के कारण आसपास के पूरे गांव डूब गए थे. उस वक्त माता गांव के बीहड़ में प्रकट होकर अलौकित कर दिया।इसके बाद भक्तो ने नदी के किनारे माता का दरबार बन दिया. मां विंध्यवासिनी और मनकेशरी की बहन माने जाने वाली मां अंगारमोती की कृपा सदियो से अपने भक्तो पर बरसते आ रही है ।आज भी गंगरेल स्थित अंगारमोती मंदिर में हर वर्ष दीवाली के बाद पहले शुक्रवार को मेला लगता है.

मान्यता है कि इस दिन निसंतान महिला अगर यहां पुजारी के पैरो से रौंदी जाए तो उसे संतान की प्राप्ति होती है.हर साल इस मेले में सैकड़ों निसंतान महिलाएं संतान सुख की कामना लेकर आती है.इस अनोखे मेले को देखने हजारों की संख्या में लोग भी पहुंचते हैं .पुरानी मान्यता के अनुसार निसंतान महिलाओं को मां अंगारमोती का आशीर्वाद मिल जाए.तो उसके आंगन में भी किलकारियां जरूर गूंजती है लेकिन इस आशीर्वाद के लिये उस प्रथा का पालन भी करना होता है।

इस परम्परा से हजारों महिलाओं की सुनी गोद मां ने भर दी है.पिछली बार करीब 300 महिलाएं आशीर्वाद मांगने लेटी हुई थी और इस बार संख्या करीब 500 होने की संभावना लगाई जा रहा है.बहरहाल नौ रूपों में पूजे जाने वाली मां का यह रूप उत्तर दिशा में दरबार लगाकर सदियों से इलाके की रक्षा करते आ रही है…. जहा हर दिन आस्था का सैलाब उमड़ रहा है लोग माता की भक्ति के रंग में सराबोर हो रहे है ।

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