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छत्तीसगढ़ के बालोद जिला से बड़ी खबर है जहां सत्र न्यायलय कोर्ट ने शिक्षक देवेंद्र ठाकुर आत्महत्या मामले में भूपेश सरकार में वन मंत्री रहे मोहम्मद अकबर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिया है सत्र न्यायाधीश एस एल नवरत्न ने आदेश में उल्लेख किया है कि, प्रथम दृष्टया आवेदक (मोहम्मद अकबर) की संलिप्तता दर्शित होती है।

ये है मामला..

छत्तीसगढ़ के बालोद जिला में डौंडी थाना अंतर्गत ग्राम घोटिया निवासी देवेंद्र कुमार ठाकुर ने बीते 3 सितंबर को फाँसी लगाकर खुदकुशी की थी। मृतक देवेंद्र की जेब से सुसाइड नोट मिली थी जिसमें खुदकुशी के लिए हरेंद्र नेताम, मदार खान उर्फ सलीम खान, प्रदीप ठाकुर और पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर को मौत का जिम्मेदार बताया था। पुलिस के अनुसार मृतक देवेंद्र के रिश्तेदार भिलाई निवासी बीएसपी कर्मी हरेंद्र नेताम ने मृतक का परिचय मदार खान उर्फ सलीम खान से कराया था। मदार खान उर्फ सलीम खान खुद को तत्कालीन वन मंत्री मोहम्मद अकबर का भांजा बताता था। कथित रुप से मदार खान ने दावा किया था कि वन विभाग में वह वन रक्षक और चपरासी के पद पर नौकरी दिला देगा। जिसके बाद नौकरी लगाने के नाम पर पैसा देने वालों की संख्या बढ़ती चली गई। वर्तमान में डौंडी थाना में दर्ज हुई शिकायत के अनुसार 75 लोगों से 3 करोड़ 70 लाख राशि ठगी की करने की बात आई है। नौकरी नहीं लगने और पैसा वापस नहीं मिलने पर पीड़ितों ने हंगामा किया तो हरेंद्र नेताम ने स्टांप पेपर पर लिखित में इकरारनामा किया कि वो सभी लोगो का पैसा वापस कर देगा। जिसके एक साल गुजर जाने के बाद पैसा नही मिला तो घोटिया के छह लोगो ने डौंडी थाना में शिकायत की जिस पर मृतक देवेंद्र ठाकुर ने लिखित बयान दिया कि हरेंद्र नेताम और मदार खान से नौकरी लगाने के नाम पर लिया पैसा 25 अगस्त 2024 तक वो सभी का पैसा वापस कर देगा और तय समय में पैसा नही दे पाने के बाद 3 सितंबर को उसने आत्महत्या कर ली और उसके जेब से मिले सुसाइड नोट में लिखे नामों के आधार पर पूर्व वन मंत्री मोहम्मद अकबर, मदार खान, प्रदीप ठाकुर और हरेंद्र नेताम के विरुद्ध बीएनएस की धारा 108, 3(5) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था। जिसके बाद बालोद के जिला सत्र न्यायालय में मोहम्मद अकबर की ओर से अग्रिम जमानत हेतु आवेदन किया गया। जिसे न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया।

राज्य की ओर से प्रशांत पारेख ने अग्रिम जमानत आवेदन का विरोध किया। सत्र न्यायाधीश एस एल नवरत्न ने इस मामले में अग्रिम ज़मानत आवेदन को निरस्त करते हुए आदेश में लिखा है -“अभिलेख पर आए अन्य साक्ष्य से भी प्रथम दृष्टया आवेदक कीं संलिप्तता दर्शित होती है। मामले में विवेचना शेष है। आवेदन में उल्लेखित न्याय दृष्टांत के तथ्य और परिस्थितियाँ वर्तमान मामले से भिन्न होने से उनका लाभ आवेदक को प्रदान नहीं किया जा सकता।”

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