Breaking
Tue. Dec 2nd, 2025

जिले भर के बच्चे पिछले 5 साल से  सड़े- गले खाट और गद्दा में सोने को है मजबूर 

जोगेश्वर नाग  दंतेवाड़ा / छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र दंतेवाड़ा – बस्तर में आदिवासी बालक -बालिकाओं की बेहतर शिक्षा के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है. जिसके तहत इन आदिवासी बालक-बालिकाओं के लिए छात्रावास के साथ ही रहने सोने के लिए भोजन की व्यवस्था और शिक्षा की व्यवस्था की जाती है. वैसे ही दंतेवाड़ा जिला में एक बड़ा कारनामा सामने आया है।

 

लेकिन दंतेवाड़ा जिले में डीएम एफ जैसे फंड होने के बाद भी आदिवासी बच्चों को न तो उनको अच्छी शिक्षा मिल पाई न ही उन्हें कभी अच्छी नींद ना आई । पांच साल बित गए फिर भी विभाग ने बच्चों के लिए गद्दा और खाट  उपलब्ध नहीं करा पाई , बच्चे कभी जमीन पर तो कभी स्वयं के पेटी के उपर सो जाते हैं। वहीं इस विषय पर अधिक्षकों का कहना है कि गद्दा और खाट मांग करने पर भी अधिकारी अधिक्षकों को अर्जेस्ट करने की हिदायत  देते रहे और सड़े हुए बिस्तर को ढकने के लिए केवल बेड शीट को थमाया जाता रहा।

 

इधर ट्राइबल विभाग के अधिकारियों की बात करें तो उनका पांच साल में कहीं बार ट्रांसफर भी हुई लेकिन आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी हैं कि वो दंतेवाड़ा ही नहीं बस्तर छोड़कर कहीं बाहर जाना ही नहीं चाहते। क्यों कि दंतेवाड़ा एक ऐसे जिला है जहां आदिवासी बच्चों की पढ़ाई रहन सहन से लेकर कहीं योजनाएं उपलब्ध हैं।

 

 

और छत्तीसगढ़ शासन की तरफ से इन आदिवासी बच्चों के लिए प्रशासन हर महीनें साल करोड़ों रुपए लूटा देती है। पर क्या करें साहब, कुछ भी सामान खरीदने की टेंडर होती है,तो सहाब के तो पहले से ही ठेकेदारों से सेटिंग है। दंतेवाड़ा में जो भी सामान खरीदी से लेकर ख़ान पान तक ठेके पर संचालित है तो सिर्फ और सिर्फ बाहरी ठेकेदारो के माध्यम से सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति का काम कर जातें हैं।

 

वहीं इन बच्चों के नाम पर हर साल छात्र वित्तीय आता है उसको भी जिला प्रशासन में बैठे अधिकारी डकार जाते हैं। ऐसे अधिकारियों को ना स्थानीय जनप्रतिनिधि की नजर लगती है ना ही सरकार की नजर लगती है।जब इस मामले में संबंधित विभागीय अधिकारी से जानकारियां चाही गई तो मोबाइल फोन रिसीव नहीं किया गया।

Nbcindia24

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed