दिव्यांगता को मात दे अनिकेत देवांगन के बुलंद हौसले की कहानी

छत्तीसगढ़ के बालोद जिला से बुलंद हौसले की कहानी।

CHHATTISGARH/BALOD: आज हम आपको बुलंद हौसलों की एक एैसी कहानी बताने जा रहे हैं जिसे पढ़कर बेरोजगारी का रोना रोने वाले शारीरिक रूप से सक्षम और दिव्यांगता को अपनी कमजोरी मानने वाले दिव्यांग सोचने पर मजबूर हो जायेंगे।

जी हाँ हम बात कर रहें छत्तीसगढ़ बालोद जिला के अर्जुन्दा नगर से लगा ग्राम टिकरी निवासी 24 वर्षीय अनिकेत देवांगन की, अनिकेत पूर्व में मिले मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार 90% दिव्यांग है दोनों पैर में तकलीफ होने के चलते बड़ी मुश्किल से 10 साल की उम्र में चलना सीखा, उनके दोनों हाथ भी तकलीफ है जिसकी वजह से किसी चीज को ठीक से पकड़ नहीं पाता पूरी शरीर के साथ हाथ काप्ता है यही नही जुबान भी इतना लड़खड़ाता है की कोई भी शब्द ठीक से पूरा बोल नहीं पाता।

इन सबके बावजूद अनिकेत दिव्यांगता को कमजोरी ना बना अपने बुलंद हौसले से शारीरिक की दिव्यांगता को मात दे लड़खड़ाते कई गांव घूम चूड़ी कंगन बेच आमदानी अर्जित कर मजबूती के साथ अपने पैर पर खड़े है और अपना हर जरूरत को पूरा करने के साथ परिवार चलाने में माता-पिता का हाथ बढ़ा रहे।

बुलंद हौसले से हर माह लगभग 25 गांव का करते हैं सफर

अनिकेत लड़खड़ाते जुबान से बतलाते है की वे लगभग 7 सालों से गांव गांव घूमकर व्यापार करते आ रहे जिसमे सबसे पहले ब्रस, जीबी, साबुन, कंघि, सैम्पू बेचा करते थे लेकिन पिछले 4 साल से चूड़ी-कंगन बेच रहे हर माह अपने गाँव टिकरी से लगभग 15 किलोमीटर के आसपास 25 गाँवों मे अलग-अलग दिन पैदल, कभी लिप्ट तो कभी बस से सफर चूड़ी- कंगन बेचने जाते है।

मनीष देवांगन

अनिकेत किसी के कहने से नहीं स्वयं काम कर परिवार चलाने में बढ़ा रहे हाथ: मनीष देवांगन

पिता मनीष देवांगन टेलरिंग का काम करता है बतलाते है की अनिकेत बच्चपन से ही दिव्यांग है उनको चलने और बोलने के साथ हाथ में भी दिक्कत है जिसके कारण खाना खाने में परेशानी होता है पहले चल नहीं पाता था अब कुछ हद तक  चल लेता है और लगभग 10 साल से व्यापार कर अपने हर जरूरत को पूरा करने के साथ परिवार चलाने में मेरा भी हाथ बटाता है।

श्रीमति दनेश्वरी निषाद

औरों के लिए मिसाल है अनिकेत: श्रीमति दनेश्वरी निषाद 

काफी समय से इनको चूड़ी कंगन बेचते देख रही हूँ मैं भी खरीदती हूँ, खुशी होता है कि लड़का दिव्यांग होते हुए भी अपनी आमदनी का जरिया बना चुका है जिनके हाथ पैर सही सलामत है या जो दिव्यांग है उनको इनसे सीखना चाहिए।

संसदीय सचिव व विधायक: कुंवर सिंह निषाद

जो समझते हैं हम पढ़े-लिखे बेरोजगार उन लोगों को इनसे सीखने की जरूरत, संसदीय सचिव व विधायक: कुंवर सिंह निषाद

मैं समझता हूं लोगों के लिए और समाज वर्ग लिए अनिकेत प्रेरणा है जो कभी यह समझते हैं कि हम पढ़े-लिखे बेरोजगार हैं यदि आज यह बालक विकलांग होते हुए स्वरोजगार के माध्यम से स्वयं की आमदनी का जरिया बना परिवार का मदद कर रहे  लोगों को इनसे सीखना चाहिए मैं भी कई गांव में से घूमते समान बेचते देखा हूं आर्थिक रूप से मदद करने का साथ मैं आने जाने में कोई तकलीफ ना हो ट्राई साइकिल दिलाने में पूरी मदद करूंगा।

Nbcindia24

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