बस्तर क्षितिज सामाजिक सेवा समिति ने सुकमा में वितरित की निशुल्क गणेश प्रतिमाएं

पांच वर्षों से समिति कर रही है यह पुनीत कार्य, संस्थापिका दीपिका शोरी की सनातन संस्कृति के प्रति समर्पित पहल

धर्मेंद्र सिंह सुकमा @ बस्तर क्षितिज सामाजिक सेवा समिति द्वारा पूर्व वर्षों की भांति इस वर्ष भी सुकमा में गणेश चतुर्थी के अवसर पर निशुल्क गणेश प्रतिमाओं का वितरण किया गया। यह कार्य समिति द्वारा लगातार पांचवें वर्ष किया गया, जिसे स्थानीय लोगों ने सराहा।

समिति की संस्थापक अधिवक्ता दीपिका शोरी ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य सनातन संस्कृति को बढ़ावा देना और पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियों का प्रचार-प्रसार करना है। उन्होंने कहा, “मुझे बेहद खुशी है कि जिस उद्देश्य के साथ मैंने यह कार्य प्रारंभ किया था, उसमें निरंतर सफलता मिल रही है। सनातन को मानने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।”

इस पहल के अंतर्गत स्थानीय शिल्पकारों द्वारा निर्मित गणेश प्रतिमाएं वितरित की गईं, जिससे न केवल धार्मिक आस्था को बल मिला, बल्कि स्थानीय रोजगार को भी सहारा मिला।बस्तर क्षितिज सामाजिक सेवा समिति की संस्थापिका जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के सदस्य की भी जिम्मेदारी में है उन्होंने कहा कि हम अपने क्रम को निरन्तर जारी रखते हुए अपनी समिति के माध्यम से श्री गणेश स्थापना के अवसर पर विभिन्न ग्राम पंचायत से आये हुए हमारे आदिवासी भाई बहनों के साथ साथ अन्य समाज के लोगों को श्री गणेश जी की प्रतिमा का निःशुल्क वितरण किया,मुझे यह बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि हमारा प्रयास आज सफलता की ओर है और प्रतिवर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक लोगों ने श्री गणेश जी की प्रतिमा प्राप्त की हैं जिनमें प्रमुख रूप से नक्सल प्रभावित ग्राम पेंदलनार,कुण्दनपाल,बाड़नपाल,सौतनार,उरमापाल,किकिरपाल,अधिकारीरास,गादीरास,पाकेला,हिकमीरास,छिंदगढ़ व अनेकों ग्राम शामिल हैं।

साथ ही यह भी कहना चाहती हूं कि सभी को अपने अपने रीति रिवाजों के अनुसार पूजा पद्धति का अधिकार है परंतु यहां अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने कुछ लोग हिन्दू देवी देवताओं की पूजा का विरोध करते हैं और चुनाव नजदीक आते ही उन्ही हिन्दू इष्टदेवों के कार्यक्रमों की विभिन्न समाजों के मंच साझा कर गुणगान करने से पीछे नहीं हटते हैं ऐसे लोगों से मैं कहना चाहती हूं कि सनातन कोई आजकल उपजा हुआ विचार नहीं है यह वह पुरानी संस्कृति है जो मुगल काल में मुगलों के आतंक के बाद भी नहीं मिटा इसे मिटाने वाले ही मिट गए हमारे कितने ही पूर्वज सनातन संस्कृति की रक्षा करते हुए मुगलों के आगे झुकने से मना कर दिया और सपने प्राणों की आहुति दे दी ,मैं भी अपने उन्हें पूर्वजों के पदचिन्हों पर चल कर सनातन संस्कृति हेतु न्योछावर हो जाना चाहती हूं और इस हेतु मुझसे जो भी सम्भव होगा मैं करुंगी।

Nbcindia24

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