धर्मेंद्र यादव धमतरी @ जिले के गंगरेल में स्थित माँ अंगारमोती मंदिर में अगर निसंतान महिला को बैगा अपने पैरो से महिलाओं पर चलते हुए आगे बढ़े तो महिला को संतान की प्राप्ति होती है हर साल दीवाली के बाद पहले शुक्रवार को इसी मन्नत के साथ दूर दराज से बड़ी संख्या में महिलाएं आती है.आज संतान के लिये आधुनिकतम टेस्ट ट्यूब और आईवीएफ तकनीक के दौर में.. ये अनूठी लेकिन सिद्ध मान्यता है जो हैरान करने वाली है.
छत्तीसगढ़ का धमतरी जिला अपने बांधो के लिये जाना जाता है. लेकिन जब गंगरेल बांध नहीं बना था. तो वहां बसे गांवो में शक्ति स्वरूपा मां अंगारमोती इस इलाके की अधिष्ठात्री देवी थी.. बांध बनने के बाद वो तमाम गांव डूब ने लगे थे. लेकिन माता के भक्तो ने अंगारमोती माता की गंगरेल के तट पर फिर से स्थापना कर दी.जहां साल भर भक्तों का ताता लग रहता है और और मन्नत को लेकर दर्शन करने आते हैं.लेकिन पूरे साल में एक दिन ऐसा है जो दीपावली पर्व के बाद का पहला शुक्रवार होता है जो सबसे खास होता है. इस दिन यहां भव्य मेला लगता है जहां हजारो पहुंचते है. आदिवासी परंपराओ के साथ पूजा और रीतियां निभाई जाती है साथ ही इस दिन बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं भी पहुंचती हैं जो निः संतान होते हैं कोई मां कहने वाला नहीं है.
ऐसी मान्यता है निःसंतान महिलाएं मंदिर के सामने हाथ में नारियल अगरबत्ती नींबू लिये कतार में खड़ी होती है.सभी निः संतान महिलाओं को इंतजार रहता है कि कब मुख्य बैगा पुजारी मंदिर के लिये पहुंचेंगे साथ ही दूसरी तरफ वो तमाम बैगा होते हैं जिन पर देवी मां सवार होती है चारो तरफ ढोल नगाड़ो की गूंज में वो झूमते हुए बेसुध मंदिर की तरफ बढ़ते चले आते हैं.बैगाओ को आते देख कतार में खड़ी सारी महिलाएं पेट के बल दंडवत लेट जाती है और सारे बैगा उनके उपर से गुजरते है.जी बता दें जिस भी महिला के उपर बैगा का पैर पड़ता है. उसे संतान के रूप में माता अंगार मोती का आशीर्वाद मिलता है.. उनकी गोद भी भर जाती है उनके आंगन में भी किलकारी गूंजती है. इस आशीर्वाद को पाने दूर दराज से निः संतान महिलाएं पहुंचती है।
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