मोहम्मद इमरान खान नारायणपुर:
ये है बस्तर की सीता:नक्सल का दंश ने बनाया एडवोकेट, हौसलें की बदौलत चुनी गई निर्विरोध सरपंच,खेत में दौड़ाती हैं ट्रैक्टर और वक्त में बन जाती हैं टीचर
नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले की प्रथम आदिवासी अधिवक्ता एवं सरपंच सीता वड्डे की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं हैं। नक्सल मामले में भाई को जेल भेजने से परिवार के संघर्ष को 5 वर्षों तक करीब से देखने के बाद सीता बचपन में ही एडवोकेट बनने की तमन्ना कर चुकी थी, अपने परिवार की पीड़ा को समझने के बाद आठवीं कक्षा में अध्यनरत सीता ने प्रण कर लिया था कि आगे चलकर उसे एक वकील बनना है और नक्सल मामले में जेल जाने वाले निर्दोष लोगों की मदद करने के लिए आगे आना हैं। इस उद्देश्य को पूरा कर करने के लिए वह एलएलबी करने के बाद नारायणपुर जिला सत्र न्यायालय में वकालत कर रही हैं।
छत्तीसगढ़/ नारायणपुर जिले की प्रथम आदिवासी अधिवक्ता के रूप में इनकी पहचान होने के साथ-साथ वे निर्विरोध चुने जाने वाली महिला सरपंच भी है। चंदा गांव ग्राम पंचायत के ग्रामीणों के द्वारा सीता के जज्बे और हौसले को देखकर इसे अपने गांव का मुखिया चुना गया है। सीता के कई रूप हमें देखने को मिलते हैं जहां कानूनी लड़ाई के लिए काला कोट पहनकर कोर्ट में दिखती है वहीं दूसरी ओर गांव के ग्राम पंचायत में सरपंच की बखूबी भूमिका निभा रही है। सीता वड्डे एक जज्बाती महिला होने के साथ-साथ बुलंद हौसले की मिसाल भी पेश करती है। खेती किसानी के लिए वह ट्रैक्टर को लेकर खेत में उतर जाती है तो कभी वक्त मिलने पर स्कूलों का दौरा कर ब्लैक बोर्ड पर बच्चों को पढ़ती हुई नजर आती है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इस ग्राम पंचायत में उनके द्वारा एक अनोखी पहल भी की जा रही हैं। जहां प्रत्येक व्यक्ति के जन्मोत्सव पर एक पेड़ लगाया जाता है।
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