आदिवासी श्रमिकों का शोषण करने में लगी है महामाया खदान प्रबंधन – संघ

Nbcindia24/ वीरेंद्र भारद्वाज/दल्लीराजहरा।     बीएसपी के महामाया खदान प्रबंधन द्वारा महामाया में कार्यरत आदिवासी श्रमिकों और ग्रामीणों की सुविधाओं में लगातार कटौती की जा रही है और बीएसपी के उच्च अधिकारियों द्वारा ईस पर संज्ञान नहीं लिया जा रहा हैजोकि खेदजनक है। भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने बताया कि महामाया माईंस में कार्यरत आदिवासी श्रमिकों की सुविधाओं में लगातार कटौती की जा रही है और उनसे खदान में असुरक्षित तरीके से कार्य करवाया जा रहा है केन्द्र सरकार के बनाये नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। आदिवासी श्रमिकों को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। इसमें ताजा घटनाक्रम यह है कि खदान में कार्यरत आदिवासी श्रमिकों साथ खदान में कार्य करते हुए किसी तरह की दुर्घटना होने पर एक एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी। लेकिन अचानक महामाया खदान प्रबंधन द्वारा लगभग 16 दिन से उसे बंद कर दिया गया है और ईस बीच छोटी मोटी दुर्घटना भी हो चुकी है मगर महामाया खदान प्रबंधन द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है।संघ द्वारा जानकारी लेने पर यह बात सामने आई है कि महामाया खदान प्रबंधन द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि अब किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर राजहरा से एंबुलेंस भेजा जाएगा।ईस बात से साफ पता चलता है कि महामाया खदान प्रबंधन श्रमिकों की सुरक्षा के प्रति कितना सजग हैं। ऐसा लगता है कि उनको श्रमिकों की सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है यह बात एक आम आदमी भी समझ सकता है कि अगर कोई गंभीर दुर्घटना होने के स्थिति में 22 किलोमीटर दूर जबतक एंबुलेंस पहुंचेगी तब तक गंभीर परिणाम हो सकते हैं मगर ईनको ईसकी बिल्कुल भी चिंता नहीं है। महामाया खदान प्रबंधन की ईस तरह की कार्यशैली की लंबी फेहरिस्त है ईनके द्वारा आदिवासी श्रमिकों का शोषण ईस तरह किया जा रहा है कि ईनको समान कार्य के लिए समान वेतन भी नहीं दिया जाता है। जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने बताया कि आज राजहरा खदान समूह में कार्यरत किसी भी खदान में अगर किसी श्रमिक की आकस्मिक निधन हो जाती है तो मानवता के आधार पर मृतक श्रमिक के परिवार से किसी को कार्य पर रख लिया जाता है। मगर यहां भी महामाया खदान प्रबंधन द्वारा जानबूझकर आदिवासी श्रमिकों के साथ भाई भतीजावाद की निती अपनाई जा रही है और इसमें जानबूझकर देरी की जाती है। यहां एक बात स्पष्ट करना बहुत ही आवश्यक है कि महामाया माईंस मैनेजर द्वारा वैसे तो खदान में बहुत ही नियम कानून की बात कही जाती है मगर लगता है कि सारा नियम कानून सिर्फ आदिवासी श्रमिकों के लिए ही लागू किया जा रहा है इसका ताजा उदाहरण यह है कि महामाया खदान में कार्यरत आदिवासी श्रमिक कीआकस्मिक निधन होने पर उनकी पत्नी को कैंटीन में कार्य पर रखने के लिए सभी ने अपनी सहमति दी मगर माईंस मैनेजर द्वारा ईसका विरोध किया जा रहा है उनका कहना है कि महामाया की विधवा महिला को राजहरा खदान में कार्य दिया जावे जोकि कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है। इसके विपरित ईन्ही माईंस मैनेजर द्वारा लगभग 06 साल से ठेकेदार के सुपरवाइजर को ग़लत तरीके से खदान में प्रवेश दिया जा रहा है।ईस सुपरवाइजर का आजतक ए फार्म पंजीयन नहीं हुआ है और माईंस मैनेजर की कृपा से 06 साल से टेंपररी गेटपास बनवाया जा रहा है जो कि केंद्र सरकार के बनाये नियमों का खुलेआम उल्लंघन है।मगर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए ईस तरह बहुत से खेल खेलें जा रहें हैं। यही वो माईंस मैनेजर हैं जिनके द्वारा निविदा में जानबूझकर ऐसे नियम और शर्तें डाले जाते हैं जिससे जानबूझकर ठेके की लागत को बढ़ाया जाता है जबकि केंद्र सरकार द्वारा ऐसे नियम शर्तों पर रोक लगाई गई है किंतु खुलेआम शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने बताया कि अगर महामाया खदान में अगर किसी का शोषण हो रहा है तो यहां के आदिवासी श्रमिकों और ग्रामीण है। जिनके पास न तो अस्पताल है और न ही स्कूल,एक एंबुलेंस था उसे भी महामाया खदान प्रबंधन द्वारा बंद कर दिया गया है। इन सब कारणों से यहां कार्यरत आदिवासी श्रमिकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है कि उनकी जान को दांव पर लगा कर कार्य करवाया जा रहा है। जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने कहा कि सुरक्षा प्रथम की निती पर सुरक्षात्मक तरीके से कार्य करने वाली महारत्न कंपनी को महामाया खदान प्रबंधन द्वारा बदनाम किया जा रहा है कंपनी के शाख पर भी ईसका असर दिखता है। संघ की मांग है कि वर्षों से महामाया खदान में जमें अधिकारीयों को बदलना चाहिए और खदान में केन्द्र सरकार द्वारा तय सुरक्षा के मानकों के अनूरूप कार्य करवाया जाना चाहिए। साथ ही आदिवासी श्रमिकों के साथ भाई भतीजावाद की निती बंद होनी चाहिए और राजहरा खदान समूह के सभी खदानों में सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति तत्काल की जानी चाहिए, क्योंकि भारतीय मजदूर संघ कर्मचारियों और ठेका श्रमिकों की सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। अगर बीएसपी प्रबंधन इन सभी विषयों पर जल्द ही कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है तो भारतीय मजदूर संघ किसी भी तरह की कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र होगी।

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