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छत्तीसगढ़/ बालोद जिले के दल्ली राजहरा स्थित शहीद अस्पताल में सर्पदंश के दो अलग-अलग मरीज भर्ती हैं जहां दोनों का इलाज जारी है बड़ी बात यह है कि दोनों को रात में सोते समय सर्प ने डंसा है दरअसल बरसात के दिनों में ही सर्पदंश के अधिकांश मामले सामने आते हैं जब बिलों में पानी भर जाते है तो सर्प बिल से बाहर निकल घरों में घुस इंसानों को डंस लेते हैं।

पहला मामला 35 वर्षीय महिला केसरी बाई ग्राम बकलीटोला की है जिन्हें बीती रविवार व सोमवार की दरमयी रात्रि 2:15 बजे गहरी नींद में सोते समय सर्प ने डंस लिया जिसके बाद अचानक उठकर देखी तो बिस्तर में जहरीले सर्प डंडा करैत बैठा हुआ था परिजनों को तत्काल जानकारी देने के बाद सोमवार की सुबह लगभग 5:00 से 6:00 के बीच उन्हें अस्पताल लेकर पहुँचे वहीं अस्पताल पहुंचने में हुई देरी के चलते सर्प का जहर महिला के शरीर में फैलता गया और वे बेहोश हो गई जिन्हें डॉक्टर ने तत्काल वेंटीलेटर पर रख उपचार कर रहे है।

दूसरा मामला 13 वर्षीय समीर कुमार ग्राम कारुटोला है. जो 9 सितंबर की रात्रि अपने परिजनों के साथ गांव के ही गणेश पंडाल में कार्यक्रम देखकर घर लौटे और रात में सो गया वही सुबह उठा तो उनका हाथ सूजन हो गया था समीर जब अपनी मां को हाथ सूजन होने की जानकारी दिया तो उनकी मां मालिश करने हाथ को पकड़ी लेकिन दर्द इतना था कि बालक सहन नहीं कर पा रहा था धीरे-धीरे पेट, सीने और सर में दर्द बढ़ने लगा परिजन तत्काल उन्हें शहीद अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टर चेकअप के बाद समीर को सांप काटने की जानकारी दिया धीरे धीरे सर्प का जहर फैलता गया और समीर भी बेसुध हो गया डॉक्टर ने बालक को तत्काल वेंटिलेटर पर रख इलाज किया जहां 24 घंटे वेंटीलेटर में बेहोश रहने के बाद स्वास्थ्य में सुधार होने पर जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया।

 

समीर की मां

वही 24 घंटे वेंटिलेटर में रहने के बाद जब समीर के स्वास्थ्य में सुधार आने पर जनरल वार्ड में किया गया था तो उनके माता-पिता में राहत की सांस ली और उनके चेहरे खिल गया अपने बेटे की मौत के मुंह से बाहर आने के बाद समीर की मां ने कहा डॉक्टर भगवान है मैं लोगों से अपील करती हूं की सांप काटने पर बैग गुनिया के चक्कर में ना पड़े बल्कि तत्काल अस्पताल ले जाकर ईलाज करवाए डॉक्टर ही बचा सकता है।

डॉ. शैवाल जना

शहीद अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर शैवाल जना ने बतलाया कि सर्पदंश से मौत समय पर उपचार नहीं मिलने से होता है समय रहते अस्पताल पहुंचने और चिकित्सा सुविधा मिलने पर सर्पदंश से मौत नहीं होगी ग्रामीण अंचल में आज भी बैगा गुनिया के चक्कर में पड़कर लोग झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं और जब मामला बिगड़ जाता है तो अस्पताल लेकर पहुँचते हैं जब तक मरीज के शरीर में सर्प का जहर काफी फैल गया रहता है ऐसी स्थिति में मरीज के लिए खतरनाक और डॉक्टर के लिए चुनौती बढ़ जाता है

जमीन पर ना सोए और सोते समय मच्छरदानी का उपयोग अवश्य करें

जड़ी-बूटी के बाद भी बिगड़ने लगे थे हालात फिर स्वयं की जागरूकता से कैरात की जहर को मात देने लिखकर बतलाया मुझे हॉस्पिटल ले चलो और दे दिया मौत को मात। https://nbcindia24.com/?p=5499

गत वर्ष ग्राम आमडुला से शहीद अस्पताल में ही सर्पदंश का एक पेशेंट आया था जिसमें शख्स को जहरीले सांप ने गणेश पंडाल में सोते समय काट लिया था परिवार झाड़-फूंक का सहारा ले रहे थे जिसमें समय व्यतीत होने से मरीज की स्थिति लगातार बिगड़ने लगा और उन्हें बात करने में तकलीफ होने के साथ ही धुंधला दिखाई देने लगा था तब उन्होंने एहसास हुआ की झाड़-फूंक के चक्कर नहीं बच पाऊंगा तो इशारे से पेन कॉपी मंगवाया और उसमें लिखकर बतलाया कि मुझे जल्द अस्पताल ले कर चलो आखिरकार परिजन तत्काल शहीद अस्पताल लेकर आए और ईलाज मिलने पर वह स्वस्थ होकर घर लौट गए।

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