अपने प्रवास के दौरान भारतीय मजदूर संघ के राष्टीय मंत्री देवेन्द्र कुमार पांडेय महामाया खदान में कार्यरत ठेका श्रमिकों से मुलाकात की और उनके समस्याओं की जानकारी ली ।

Nbcindia24/ वीरेंद्र भारद्वाज/ दल्ली राजहरा । विगत दिनों भारत मजदूर संघ के राष्ट्रीय मंत्री एवं एनजेसीएस के सदस्य श्री देवेंद्र कुमार पांडेय का दो दिवसीय राजहरा प्रवास हुआ। उक्त प्रवास के दौरान उनके द्वारा महामाया खदान का निरिक्षण किया गया एवं वहां कार्यरत सदस्य कर्मियों से मुलाकात और विस्तृत चर्चा भी की गयी। अपने प्रवास के दौरान श्री पांडेय महामाया खादन में कार्यरत ठेका श्रमिकों से मुलाकात की और उनके समस्याओं की जानकारी ली। चर्चा के दौरान श्रमिकों ने उनके समक्ष जो प्रमुख समस्याएं रखीं उनका ब्यौरा इस प्रकार से है –
(1) श्रमिकों ने खदान में सुरक्षा के प्रति प्रबंधन एवं ठेकेदार की उदासीनता को उजागर किया। श्रमिकों ने यह जानकारी दी कि ठेकेदार द्वारा श्रमिकों को सुरक्षा उपकरण सही तरीके से उपलब्ध नहीं कराया जाता है। बारिश में अभी तक गंबूड और जूता नहीं दिया गया है इसकी जानकारी प्रबंधन को देने पर भी अधिकारीयों द्वारा समुचित कारवाई नहीं की जाती है।
(2) केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा आज प्रत्येक क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को नौकरी दी जा रही है। यहाँ तक कि आज अंडर ग्राउंड खदानों में भी महिलाओं की नियुक्ति की जा रही है। किन्तु महामाया खदान प्रबंधन द्वारा केंद्र एवं राज्य सरकार के सशक्तिकरण के विरुद्ध कार्य किया जा रहा है। ठेका में कार्यरत श्रमिक के निधन के उपरान्त उनके आश्रित पत्नियों को केवल इस तुगलकी आधार पर अनुकम्पा नियुक्ति नहीं दी जा रही है कि वे महिला हैं और महामाया खदान में महिलाओं की नियुक्ति वर्जित है।
(3) इसके अलावा उन्होंने यह भी जानकारी दी कि पूर्व में हुए समझौते के तहत बीएसपी प्रबंधन द्वारा तीन ग्राम पंचायत में ०६ नल कूप का खनन किया जाना था जो अभी तक पूरा नहीं किया गया है। गर्मी में किये जाने वाला बोर अभी तक नहीं किया गया है
(4) इसके अलावा श्रमिकों ने यह भी शिकायत की कि कार्यस्थल पर उन्हें पीने का जो पानी उपलब्ध कराया जा रहा है उसकी गुणवत्ता ख़राब है। जिस टेंकर से सड़क पर पानी का छिड़काव किया जाता है वहीं गंदा पानी श्रमिकों को पीने को दिया जाता है।
(5) खदानों में केंद्र अथवा राज्य सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और ठेकेदार एवं प्रबंधन द्वारा मिलीभगत करके कुछ गाड़ियों के ऑपरेटर्स को महीने में प्रचुर मात्रा में ओवरटाइम दिया जा रहा है।
(6) श्रमिकों ने यह भी शिकायत की कि वे सीधे प्रोडक्शन से लिंक कार्य कर रहे हैं। राजहरा खदान समूह के अन्य खदानों में जहाँ एक तरफ टिपर ऑपरेटर्स को उच्च कुशल श्रेणी का भुगतान किया जाता है वहीँ उन्हें केवल कुशल कामगार का भुगतान किया जा रहा है।
07, श्रमिकों ने बताया कि खदान में बैंच की चौड़ाई भी बहुत कम है जिससे कभी भी गंभीर दुर्घटना हो सकती है।
इसके अलावा श्रमिकों ने और भी कई समस्याओं की जानकारी दीं।
इसके उपरांत श्री पांडेय ने श्रमिकों को यह बताया कि पहली बार एनजेसीएस में ठेका श्रमिकों के लिए बीएमएस के पहल पर एक अलग से सब-कमिटी का गठन किया गया है जिसमें मुख्य रूप से ठेका श्रमिकों के वेतन और उन्हें मिलने वाले सुविधाओं पर चर्चा कर निर्धारण होना है। इस सब-कमिटी की तीन बैठक हो चुकी है किन्तु अभी तक कोई सकारात्मक समाधान नहीं निकला है लेकिन बीएमएस का यह स्पष्ट मानना है कि चर्चा से न केवल समाधान निकलेगा बल्कि ठेका श्रमिकों के हितार्थ सेल प्रबंधन द्वारा कुछ नीतिगत निर्णय भी लिए जावेंगे।
इसके बाद श्री डी.के.पांडेय द्वारा महामाया खदान का निरिक्षण भी किया गया।और वहां देखने को मिला कि कुछ जगहों पर बैंच की चौड़ाई बहुत ही कम है जो कि चिंताजनक है।
उक्त चर्चा और निरिक्षण के बाद श्री
डी.के.पांडेय के नेतृत्व में भा.म.सं. से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्य महाप्रबंधक खदान श्री समीर स्वरुप से मुलाकात की और विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। महामाया खदान के ठेका श्रमिकों के मुद्दे पर जवाब देते हुए मुख्य महा प्रबंधक खदान ने कहा कि सुरक्षा के मामले में किसी तरह की कोई कोताही नहीं बरती जावेगी और श्रमिकों की शिकायत का शीघ्र निवारण किया जावेगा। जहाँ तक महिलाओं को महामाया में काम पर रखने की बात है तो उन्होंने कहा कि अगर किसी महिला को कार्य पर रखना है तो Mines Act 1952 के तहत उनके लिए क्रीच घर की भी व्यवस्था करनी होगी और इसीलिए संभवतः महामाया में महिलाओं को कार्य पर नहीं रखा जा रहा है। इसपर उपस्थित प्रतिनिधियों ने विरोध करते हुए कहा कि आज दल्ली और राजहरा यंत्रीकृत खदान में भी महिलाएं कार्यरत हैं और वहां भी क्रीच घर नहीं है। ऐसे में अगर इन जगहों पर सरकार के बनाये नियम और कानून की अवहेलना नहीं हो रही है तो फिर महामाया में ही इस नियम के आड़ पर नियुक्ति से महिलाओं को क्यों रोका जा रहा है? इस पर मुख्य महाप्रबंधक ने शीघ्र ही इस मामले पर महामाया खदान प्रबंधन से चर्चा कर मामले को हल करने की बात कही। नल कूप खनन के सम्बन्ध में उन्होंने यह जानकारी दी कि इस सम्बन्ध में प्रबंधन द्वारा निविदा निकालने की प्रक्रिया की जा रही है और बारिश के बाद नल कूप खनन का कार्य पूर्ण कर लिया जावेगा। जहाँ तक कार्यस्थल पर मिलने वाले पानी के गुणवत्ता की बात है तो उन्होंने शीघ्र ही इसकी जांच करवाकर रिपोर्ट से संघ को अवगत करने की बात कही। जहाँ तक कुछ चुनिंदा ऑपरेटर्स को ओवरटाइम देने की बात है तो इसकी भी जांच की जावेगी। महामाया खदान में टिप्पर ऑपरेटर्स को उच्च कुशल श्रेणी का वेतन देने की बात पर उन्होंने मामले को संज्ञान में लेकर आवश्यक निर्णय लेने का आश्वासन दिया। चर्चा के दौरान उपमहाप्रबंधक कार्मिक आईओसी राजहरा श्री विकास चंद्र एवं सहायक प्रबंधक कार्मिक डॉ. बघेल भी उपस्थित थे।
इसके बाद श्री डी.के.पांडेय ने झरनदल्ली खदान में प्रबंधन एवं वहां के ब्लास्टिंग विभाग द्वारा Mines Act 1952, MMR 1961,व DGMS द्वारा मिसफायर के बाद सुरक्षा हेतु अपनाये जाने वाले उपायों के लिए निकाले गए सर्कुलर्स की अवहेलना पर चर्चा करते हुए स्पष्ट मांग की कि जिस तरह से जिन्दा कार्ट्रिज और मसाला झरनदल्ली में मिल रहा है और जिस तरह से ब्लास्टिंग के तत्काल बाद प्रबंधन द्वारा असुरक्षित तरीके से ड्रिलिंग शुरू करवा दी जाती है उससे यह स्पष्ट होता है कि झरनदल्ली खदान प्रबंधन द्वारा किसी एक ऐसे फेटल एक्सीडेंट का इंतजार किया जा रहा है जिसमें ड्रिलिंग या एक्सकेवेशन विभाग के किसी कर्मी की मौत हो। इसके अलावा इस मामले में डीएमएस बिलासपुर द्वारा चुप्पी साधकर बैठे रहने को भी उन्होंने संदेहास्पद करार दिया और मुख्य महाप्रबंधक से यह स्पष्ट मांग की कि शीघ्र ही इन घटनाओं के बार बार पुनरावृत्ति को गंभीरता से लेते हुए ऐसे असुरक्षित कार्य के लिए जिम्मेदार व्यक्ति पर तत्काल अनुशासनात्मक कारवाई करें और अगर राजहरा खदान समूह प्रबंधन ऐसा करने से परहेज करता है तो सुरक्षा से जुड़े इस संवेदनशील मामले पर संघ द्वारा आवश्यक कड़े कदम उठाने से भी परहेज नहीं किया जावेगा। मुख्य महाप्रबंधक खदान ने इस मामले पर शीघ्र समुचित कारवाई करने की बात कही।
श्री डी.के.पांडेय द्वारा संघ कार्यालय में सदस्यों की बैठक ली गयी जिसे उन्होंने स्पष्ट कहा कि भा.म.सं. द्वारा एनजेसीएस में एमओयू पर साईन नहीं किया गया है और ना ही नियमित कर्मियों के सब-कमिटी में कोई सदस्य मनोनीत किया गया है। बीएमएस का यह स्पष्ट मानना है कि वर्तमान में हुए एमओयू के माध्यम से सेल प्रबंधन और कुछ श्रम संगठनों ने श्रमिक हित के आड़ में कर्मियों के साथ धोखा किया। बीएमएस आज भी अपने मांग पर यथावत बना हुआ है और उसका यह स्पष्ट मानना है कि एनजेसीएस में अगर सेल प्रबंधन बीएमएस की मांग को दरकिनार करते हुए बहुमत के आधार पर निर्णय लेते हुए MOA करता है तो बीएमएस इस MOA को कोर्ट में चैलेंज करने से भी नहीं चुकेगा। बीएमएस यही चाहता है कि कर्मियों को भी अधिकारीयों के सामान ग्रोथ का अवसर मिले और यह तभी संभव है जब सेल प्रबंधन द्वारा वर्तमान एमओयू में संशोधन करते हुए कर्मियों को 15% एमजीबी और कम से कम 28% पर्क्स देने की बात मानी जाती है। अगर प्रबंधन एमजीबी को 13% ही रखना चाहता है तो बीएमएस तभी सहमत होगा जब सेल प्रबंधन कर्मियों को कम से कम एक वेतनवृद्धि देवे। जहाँ तक पे स्केल की बात है तो संघ सब-कमिटी द्वारा तय पे-स्केल को त्रुटिपूर्ण मानता है क्योंकि इससे S-06 से लेकर S-08 तक के कर्मियों को नुक्सान होना तय है। अतः पे-स्केल में संशोधन करते हुए S-06 से लेकर S-08 तक के कर्मियों के अंतिम पे को बढ़ाना आवश्यक होगा।
श्री डी.के.पांडेय के उक्त प्रवास कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ भा.म.सं. के खदान प्रभारी श्री एस.एम.पांडेय, भा.म.सं. के बालोद जिला मंत्री श्री मुस्ताक अहमद, खदान मजदूर संघ भिलाई के केंद्रीय और स्थानीय पदाधिकारीगण सर्वश्री एम.पी.सिंह, उमेश कुमार मिश्रा, लखनलाल चौधरी, राजीव सिंह, किशोर कुमार माइती, संजय यादव, विनोद कुमार आरडी, नीलेश कुमार, लिखन साहू, शिव कुमार कश्यप, श्रीकृष्ण मस्की, बी.पी.कश्यप, ओमप्रकाश सोनी, नागेश जैन, संतोष कुमार देवांगन एवं भारी संख्या में संघ के सदस्य उपस्थित रहे। खदान मजदूर संघ भिलाई के केंद्रीय अध्यक्ष एम.पी.सिंह ने संघ की तरफ से राजहरा खदान समूह प्रबंधन को सहयोग देने हेतु धन्यवाद दिया।

 

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